अभिषेक / शिव अभिषेक / रुद्राभिषेक / अभिषेक क्या होता है ? Abhishek
अभिषेक का तात्पर्य सामान्य भाषा में स्नान कराने से है। शिव अभिषेक का तात्पर्य शिव प्रतिमा या शिवलिंग के ऊपर जल चढ़ाना या जल की धारा प्रवाहित करना है। अभिषेक को शिव पूजा का अभिन्न भाग माना जाता है इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। अभिषेक करते समय साधक को भगवान शिव से सम्बंधित मन्त्र या स्तोत्र का जप करना चाहिए। मुख्य रूप से पंचाक्षर मन्त्र, रूद्र मन्त्र, महामृत्युंजय मन्त्र आदि।रुद्राभिषेक -
भगवान शिव का अभिषेक करते समय व्यक्ति किसी न किसी मन्त्र का उच्चारण / जप करता है। यदि वह वैदिक रुद्रसूक्त ( रुद्री ) का पाठ / जप करता हुआ अभिषेक करें तो इसे रुद्राभिषेक कहा जाता है। रुद्राभिषेक गंगा जल, गाय के दूध, पंचामृत आदि से किया जा सकता है। रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति के दुःख दर्दो का विनाश होता है, बिमारी से मुक्ति मिलती है, संभावित खतरों से रक्षा होती है और जीवन में प्रसन्नता और सम्पन्नता आती है।
अभिषेक करने के लिए विभिन्न सामग्री / वस्तुएं -
सामान्तया शिव प्रतिमा / शिव लिंग पर जल धारा प्रवाहित करके अभिषेक किया जाता है। लेकिन जल के अतिरिक्त अन्य पदार्थों से भी अभिषेक किया जाता है। अलग - अलग पदार्थों से किये गए अभिषेक का फल या उद्देश्य अलग - अलग होता है।
1.गंगा का पानी - सभी चारों पुरषार्थों की प्राप्ति व मानसिक शांति के लिए गंगा जल से अभिषेक किया जाता है।
2.घी से अभिषेक करने पर वंश वृद्धि होती है।
3.शुद्ध पानी से अभिषेक करने पर मानसिक शान्ति मिलती है और कामना की पूर्ति होती है।तथा अच्छी वर्षा होती है।
4.दूध से अभिषेक करने पर समस्याओं से छुटकारा मिलता है और परिवार में सुख शान्ति रहती है।
5.गन्ने के रस से अभिषेक करने पर सम्पन्नता व प्रसन्नता आती है।
6.शहद से अभिषेक करने पर सामान्य इच्छा पूर्ति होती है।