Geeta Saar (गीता सार )
गीता हमें आध्यात्मिक सुख देती है जो जीवन के लिए सर्वाधिक आवश्यक बात है। जब कठिन समय होता है तब गीता हमें सहायता और सांत्वना देती है। गीता हमें उचित कर्म का भाव देती है जो आध्यात्मिक संतुष्टि के लिए आवश्यक है।
- तुम चिंता क्यों करते हो ? तुम किससे डरते हो ?
- तुम्हे कौन मार सकता है और नष्ट कर सकता है ? आत्मा कभी पैदा नहीं होती है अतः यह कभी मरती भी नहीं है।
- जो भी कुछ हुआ , वह अच्छाई के लिए हुआ।
- जो भी कुछ हो रहा है , वह अच्छाई के लिए हो रहा है।
- जो कुछ होगा वह अच्छाई के लिए होगा।
- तुमने क्या खोया है , जिसके लिए तुम रोते हो ?
- तुम क्या साथ लाये थे , जिसे तुमने खो दिया है ?
- तुमने क्या उत्पन्न किया था , जो नष्ट हो गया है ?
- जब तुम पैदा हुए थे तो तुम कुछ भी साथ नहीं लाये थे।
- जो कुछ तुम्हारे पास है , तुम्हे ईश्वर से प्राप्त हुआ है।
- जो भी कुछ तुम दोगे , तुम उसे ईश्वर को दोगे।
- तुम खाली हाथ आये थे और खाली हाथ जाओगे।
- जो आज तुम्हारा है , कल किसी और का था , और कल किसी अन्य का होगा।
- परिवर्तन प्रकृति का नियम है।