Wednesday 21 December 2016

(7.1.11) Shani ki Dhaiya / Dhaiya of Shani

Shani ki Dhaiya / Dhaiya of Shani /शनि की ढैया या लघु कल्याणी 

शनि की ढैया क्या होती है ? What is Dhaiya of Shani ?
किसी व्यक्ति की जन्म राशि से शनि गोचर भ्रमण करते हुए चौथे या आठवें भाव में आये तो इस ढाई वर्ष की अवधि को शनि की ढैय्या या लघु कल्याणी  कहा जाता है।
शनि की ढैया का व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ? What is the effect of the Dhaiya of Shani ?
जब शनि जातक की जन्म राशि से चौथे भाव में हो तो उस व्यक्ति (जातक ) को अपनी माता , शिक्षा , जमीन , मकान , वाहन , प्रसन्नता , सम्पन्नता , पारिवारिक जीवन से सम्बंधित परेशानियाँ आ सकती हैं।
जब शनि  व्यक्ति की जन्म राशि  से आठवें भाव में हो तो उस व्यक्ति को स्वास्थ्य ,गंभीर बीमारी , उत्तराधिकार में प्राप्त धन , यात्रा , ससुराल पक्ष से सम्बंधित परेशानियाँ आ सकती हैं।
  • हालाँकि सम्पूर्ण अवधि में शनि एक जैसा फल नहीं देता है। अन्य ग्रहों की गोचर की स्थिति और दशा अंतर दशा की स्थिति के कारण परिणाम में अन्तर आ जाता है।
  • इसके अतिरिक्त  शनि जन्म कुंडली में योग कारक, षडबल से युक्त, उच्च, स्व, मित्र राशि  या शुभ स्थान में हो तो व्यक्ति को  सुख सम्पति एवं व्यापार में अनायास ही सफलता दिला  देता  है। उसका विवाह, बच्चों  का जन्म या नौकरी में तरक्की , चुनाव में जीत , विदेश यात्रा , आदि  शुभ कार्य इस साढ़ेसाती के दौरान होते हैं।
  • शनि को न्याय का ग्रह माना जाता है। इसलिए यह व्यक्ति को उसके द्वारा किये गए कर्मों के अनुसार उसे अच्छा या बुरा फल देता है। बुरे कार्य के लिए सजा देता है और अच्छे कार्य के लिए पुरुस्कृत करता है।
  • शनि की ढैय्या (लघु कल्याणी ) के उपाए :-Remedial measures to remove the adverse effect of Dhaiya of Shani 
  • शनि की ढैय्या  के दौरान दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए निम्नांकित उपाय लाभकारी हैं :-
  • कम से कम सात शनिवार तक हनुमान जी के मंदिर में जाकर सात या पाँच बार हनुमान चालीसा का पाठ  करें। (यदि मंदिर में नहीं जाया जा सके तो घर में किसी शांत स्थान पर बैठकर हनुमान चालीसा का ग्यारह बार पाठ  करें।
  • ( या ) शनि वार को सुन्दर कांड का पाठ करें।
  •  (या) सात शनिवार व्रत रखें , हनुमान जी के मंदिर में जायें , हनुमान जी को 100 ग्राम गुड व 100 ग्राम भुने हुए चने प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।
  •  (या) निम्नांकित मन्त्र का जितना अधिक जप कर सकें उतना जप  करे - ॐ शं  शनैश्चराय नमः।
  • उपरोक्त उपायों के साथ - साथ यथा शक्ति तेल , तिल ,छाता , कम्बल , जूते आदि का  दान करें। कबूतरों को दाना खिलाएं व चीटियों के बिल के पास शक्कर मिला हुआ आटा डालें।