Sunday 28 May 2023

(5.1.12) Importance of Pitri Paksh / Shraadh Paksh

Importance of Pitri Paksh / Shraadh Paksh  श्राद्ध पक्ष / पितृ पक्ष का महत्व

शास्त्रों में मनुष्यों के लिए देव ऋण , ऋषि ऋण और पितृ ऋण - ये तीन ऋण बतलाये गए हैं। इनमें श्राद्ध के द्वारा पितृ ऋण का उतारना आवश्यक है;क्योंकि जिन माता पिता के द्वारा हमारी आयु , आरोग्य और सुख - सौभाग्य आदि की अभिवृद्धि के लिए अनेक प्रयास किये गए हैं,उनके ऋण से मुक्त न होने पर हमारा जन्म ग्रहण करना निरर्थक होता है। उन के ऋण उतारने में कोई अधिक खर्च भी नहीं होता है।केवल वर्ष भर में उनकी मृत्यु तिथि को सर्व सुलभ जल , तिल  , यव , कुश और पुष्प आदि से उनका श्राद्ध संपन्न करने और  गोग्रास देकर एक या तीन या पाँच ब्राह्मणों को भोजन करा देने मात्र से ही ऋण उतर जाता है। इस के लिए जिस माह की जिस तिथि को माता - पिता आदि की मृत्यु हुई हो उस तिथि को श्राद्ध किया जाता है। इस के अतिरिक्त आश्विन कृष्ण ( महालय ) पक्ष में भी उसी तिथि को श्राद्ध - तर्पण - गोग्रास और ब्राह्मण - भोजनादि करना- कराना आवश्यक है; इससे पितृ गण प्रसन्न होते  हैं और हमारा सौभाग्य बढ़ता है। पुत्र को  चाहिए कि वह माता - पिता की मृत्यु तिथि को मध्यान्ह  काल में पुन: स्नान करके श्राद्ध आदि करें और ब्राह्मणों को भोजन करा के स्वयं भोजन करे। जिस स्त्री के कोई पुत्र न हो , वह स्वयं भी अपने पति का श्राद्ध उसकी मृत्यु तिथि को कर सकती है। भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से प्रारंभ कर के आश्विन कृष्ण अमावस्या तक सोलह दिन पितरों का तर्पण और विशेष तिथि को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।