Sunday 21 May 2023

(9.1.1) Shringi Rishi Jayanti

Shringi Rishi - Vrishti Yagya Aur Putreshthi Yagya Karta

Shringi Rishi Ki Katha 

ऋष्य श्रृंग या श्रृंगी ऋषि कश्यप ऋषि के पौत्र और विभण्डक ऋषि के पुत्र थे। उनके जन्म के बारे में तीन अलग अलग कथाएं मिलती हैं। एक मत के अनुसार उनका जन्म उर्वशी  नामक अप्सरा से माना जाता है।  एक अन्य मत के अनुसार एक देवकन्या ने ब्रह्माजी के शाप के कारण एक मृगी के रूप में जन्म  लिया और उसी मृगी से श्रृंगी ऋषि का जन्म हुआ।  एक अन्य मत के अनुसार इनका जन्म , मृगपदा जो एक देवकन्या थी, के गर्भ से हुआ था, ऐसा माना जाता है।
वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड के सर्ग 9 से 14 तक के अनुसार श्रृंगी ऋषि  राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया था। उनका  विवाह अंग देश के राजा रोमपाद की दत्तक पुत्री शान्ता के साथ हुआ था, जो वास्तव में राजा दशरथ की पुत्री और भगवान्  राम की बहिन थी। उनका पालन पोषण उनके पिता विभण्डक के द्वारा एक अरण्य ( वन ) में हुआ। यह अरण्य अंग देश की सीमा से लगता था। 
उस समय अंग देश में राजा रोमपाद का शासन था। उनके पाप कर्म और अत्याचार के कारण एक बार उनके राज्य में वर्षा नहीं हुई जिससे वहाँ अकाल छा गया। इस संकट की घडी का सामना करने के लिए राजा रोमपाद ने सुविज्ञ एवं शास्त्रों के ज्ञाता ब्राह्मणों को बुलाया और उनसे इस अनावृष्टि के संकट से उबरने का उपाय पूछा।  इस पर ब्राह्मणों ने कहा कि यदि किसी तरह  विभण्डक मुनि के पुत्र ऋष्य श्रृंग को यहाँ अर्थात अंगदेश लाकर यथाविधि उनका सत्कार किया जाये तो यहाँ वर्षा हो सकती है  और अकाल से मुक्ति मिल सकती है। 
राजा रोमपाद ने अपने मंत्रियों और पुरोहितों को ऋष्य श्रृंग को अंगदेश लाने का उपाय पूछा। प्रत्युत्तर में   उन्होंने कहा कि वैसे तो उन्हें ( ऋष्य श्रृंग  ) उनके आश्रम से यहाँ लाना बहुत कठिन है परन्तु यदि रूपवती और अलंकार युक्त गणिकाएं,(वैश्याएं) भेजी जाये तो वे मुनि को किसी तरह रिझा कर ला सकती है।  हुआ भी ऐसा ही वे गणिकाएं (वैश्याएं ) ऋष्य श्रृंग को मोहित करके उन्हें अपने साथ अंग देश ले आयी। . 
ऋष्य श्रृंग  के नगर में पहुँचते ही  रोमपाद के राज्य में वर्षा होने लगी, जिससे सब प्राणी प्रसन्न हो गए।  रोमपाद  ने यथाविधि अर्घ्य, पाद्यादि प्रदान कर उनका पूजन किया और उनसे वर माँगा कि उनके पिता विभण्डक मुझ पर क्रोध न करें।  फिर रोमपाद ने ऋष्य श्रृंग का विवाह अपनी दत्तक पुत्री शांता से कर दिया।  
 इसके कुछ समय बाद ऋष्य श्रृंग ने अयोध्या के राजा दशरथ की पुत्र कामना के लिए पुत्र कामेष्ठि यज्ञ करवाया था,.परिणाम स्वरुप राम, भरत, लक्ष्मण  और शत्रुघ्न का जन्म हुआ. 
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में ऋष्य श्रृंग का मंदिर भी है। इस मंदिर में ऋष्य श्रृंग  के साथ देवी शांता की प्रतिमा विराजमान है।  यहाँ दोनों की पूजा होती है और दूर -दूर से श्रद्धालु आते है।