Tuesday 23 June 2020

(6.4.8) Hanuman Prarthana Mantra

Hanuman Prarthana Mantra / Hanuman Prayer Mantra For Fulfilling Desires / हनुमान प्रार्थना मन्त्र (मनोकामना पूर्ति हेतु ) हनुमान स्तुति मन्त्र

हनुमान प्रार्थना मन्त्र - मनोकामना पूर्ति  हेतु
भगवान् शिव के अवतार राम भक्त हनुमान जी कल्याणकारी शक्तियों के स्वामी हैं। वे उनके भक्तों के भक्ति भाव से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
मनोकामना पूर्ति के लिए हनुमान जी का चित्र अपने सामने रखकर  उनके प्रार्थना मन्त्रों का नियमित रूप से पाँच या सात बार जप करें।
किसी विशेष उदेश्य की पूर्ति के लिए इन प्रार्थना मन्त्रों का जप करना हो तो कम से कम इकतालीस दिन तक प्रतिदिन ग्यारह बार जप करें।
जप के बाद शान्ति पूर्वक बैठ कर अपनी आँखें बंद करें और हनुमान जी के असीम स्नेह और शक्ति का चिंतन करें तथा पूर्ण विश्वास के साथ भावना करें कि हनुमान जी ने आप की प्रार्थना को सुन लिया है। वे आप को आप की मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद दे रहें है। इन प्रार्थना मन्त्रों और हनुमान जी पर जितना ज्यादा विश्वास और आस्था होगी उतना ही अधिक फल प्राप्त होगा।
उनके प्रार्थना मन्त्रों का नित्य स्मरण करने से मनोकामना पूर्ति के अतिरिक्त अन्य लाभ भी हैं जो इस प्रकार है -
(1) बुद्धि और विद्या प्राप्त होती है।
(2) सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।
(3) हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
(4) बंधनो से छुटकारा मिलता है।
(5) आत्मबल मजबूत होता है।
(6) नकारामक शक्तियाँ प्रभावहीन रहती हैं।
(7)आर्थिक सम्पन्नता आती है।
(8)कठिन कार्य सरल हो जाते हैं।
हनुमान जी के प्रार्थना मन्त्र (हिन्दी अर्थ सहित )इस प्रकार हैं -
(1)अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं  वातजातं नमामि।
अर्थ - अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन को ध्वंस करने के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, सम्पूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथ जी के प्रिय भक्त पवन पुत्र, श्री  हनुमान जी को मैं प्रणाम करता हूँ।
(2)अंजनानन्दनं वीरं  जानकीशोकनाशनम्
कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लंकाभयंकरम्।
अर्थ - श्री जानकी के शोक का नाश करने वाले, अक्ष कुमार का संहार करने वाले, लंका के लिये अत्यन्त भयंकर, वीर अंजना नन्दन श्री हनुमान जी की मैं वन्दना करता हूँ।
(3)मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं  श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।
अर्थ - मैं मन के समान शीग्रगामी एवं वायु के समान वेग वाले, इन्द्रियों को जीतने वाले बुद्धिमानों में श्रेष्ठ, वायु पुत्र, वानर समूह के प्रमुख, श्री राम दूत हनुमान जी की शरण ग्रहण करता हूँ।