Tuesday 10 October 2023

(6.8.16)अमोघ शिव कवच के लाभ, महत्त्व और पाठ करने की विधि Benefits of Amogh Shiva Kavach

अमोघ शिव कवच के लाभ, महत्त्व और पाठ करने की विधि Benefits of Amogh Shiva Kavach

अमोघ शिव कवच के लाभ, महत्त्व और पाठ करने की विधि

सनातन धर्म के ऋषि मुनियों ने भगवान् शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए कई मन्त्र, स्तोत्र और कवचों की रचना की है, जिनका पाठ करने से भगवान् शिव प्रसन्न होते हैं और उनके भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं.

अमोघ शिव कवच भी एक शक्तिशाली रक्षा कवच है. यह कवच परम गोपनीय और अत्यंत आदरणीय है. यह सारे अमंगलों और विघ्न बाधाओं को हरने वाला है. महर्षि ऋषभ ने इसका उपदेश करके एक संकटग्रस्त राजा को दुःख मुक्त किया था. यह कवच स्कन्द पुराण के ब्रह्मोत्तर खण्ड में है.

इस अमोघशिव कवच का पाठ करने के लाभ इस प्रकार हैं –

जो मनुष्य इस उत्तम शिव कवच को धारण करता है यानि नियमित पाठ करता है, उसे भगवान् शिव के अनुग्रह से कभी भी और कहीं भी भय नहीं होता है.

जिसकी आयु क्षीण हो चली है, जो मरणासन्न हो गया है अथवा जिसे रोगों और व्याधियों ने मृतक सा कर दिया है, वह भी इस कवच के प्रभाव से तत्काल सुखी हो जाता है और दीर्घायु प्राप्त कर लेता है.

शिव कवच समस्त दरिद्रता का शमन करने वाला और सौमंगल्य को बढाने वाला है. इसका पाठ करने से अर्थाभाव से पीड़ित व्यक्ति की सारी दरिद्रता दूर हो जाती है और उसको सुख और वैभव की प्राप्ति होती है. 

जो इसे धारण करता है, वह देवताओं से भी पूजित हो जाता है.

इस कवच के प्रभाव से मनुष्य महापातकों के समूहों और उपपातकों से भी छुटकारा पा जाता है तथा शरीर का अंत होने पर शिव को पा लेता है.

अमोघ शिव कवच का पाठ करने की विधि –

पहले विनियोग छोड़कर भगवान् शिव का ध्यान करे. इसके बाद कवच का पाठ करे.

विनियोग –

इस शिवकवच स्तोत्र मन्त्र के ब्रह्मा ऋषि हैं, अनुष्टुप छन्द है, श्रीसदाशिवरूद्र देवता हैं, ह्रीं शक्ति है, वं कीलक है, श्रीं ह्रीं क्लीं बीज हैं, सदाशिव की प्रसन्नता के लिए शिव कवच स्तोत्र के जप में विनियोग किया जाता है.

ध्यान –

जिनकी दाढ़ें वज्र के समान हैं. जो तीन नेत्र धारण करते हैं, जिनके कंठ में हलाहल पान का नील चिन्ह सुशोभित है, जो शत्रुभाव रखने वालों का दमन करते हैं, जिनके सहस्त्रों कर यानि हाथ अथवा किरणें हैं तथा जो अभक्तों के लिए अत्यन्त उग्र हैं, उन उमापति शम्भु को मैं प्रणाम करता हूँ.

ध्यान के बाद अमोघ शिवकवच का पाठ करे.