Monday 9 October 2023

(6.8.15)शिवरक्षा स्तोत्र (हिन्दी में) रक्षा पाने हेतु Shiva raksha Stotra in Hindi

शिवरक्षा स्तोत्र (हिन्दी में) रक्षा पाने हेतु Shiva raksha Stotra in Hindi

शिवरक्षा स्तोत्र (हिन्दी में)

विनियोग-

इस शिवरक्षा स्तोत्र मन्त्र के याज्ञवल्क्य ऋषि हैं, श्री सदाशिव देवता हैं, अनुष्टुप छंद है, श्री सदाशिव की प्रसन्नता के लिए शिवरक्षा स्तोत्र के जप में इसका विनियोग किया जाता है.

स्तोत्र

देवादिदेव भगवानशंकर का यह चरित्र, परम पवित्र , अपार, अत्यंत उदार एवं चतुवर्ग (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ) को देने वाला है. (1)

पांच मुखवाले, तीन नेत्र वाले, दश भुजाओं वाले शिव का गौरी और विनायक (गणेश) जी सहित ध्यान करके साधक पुरुष को शिवरक्षास्रोत का पाठ करना चाहिए. (2)

गंगाधर शिव मेंरे सिर की, अर्धचन्द्रधारी मेरे कपाल की, काम देव को भस्म करने वाले (मदनध्वंसी) मेरे दोनों नेत्रों की तथा सांपो को आभूषण के रूप में धारण करने वाले (सर्पविभूषण) मेरे दोनों कानो की रक्षा करे.(3)

त्रिपुरासुर का वध करने वाले (पुराराति) मेरी नाक की, जगतपति मेरे मुख की, वागीश्वर मेरी जिह्वा की, शितिकन्धर मेरी ग्रीवा की रक्षा करे.(4)

मेरे कंठ की श्रीकंठ, मेरे दोनों कंधो की विश्वधुरंधर, भूभार संहर्ता मेरी दोनों भुजाओ की तथा पिनाकधृक मेरे दोनों हाथो की रक्षा करे. (5)

शंकर मेरे ह्रदय की, गिरिजापति पेट की, मृत्युंजय नाभि की तथा व्याघ्रजिनाम्बर मेरी कटि की रक्षा करे. (6)

दीनार्त-शरणागतवत्स्वल मेरी समस्त हड्डियों की, महेश्वर मेरे उरु की तथा जगदीश्वर मेरे जानु की रक्षा करे. (7)

मेरी दोनों जांघो की जगत्कर्ता, दोनों घुटनों की गणाधिप, मेरे दोनों पैरो की करुणासिंधु तथा मेरे सारे अंगो की सदाशिव रक्षा करे. (8)

फलश्रुति - 

जो साधक शिव बल से युक्त होकर इस शिवरक्षा स्रोत का पाठ करते हैं, वे अन्त में शिवसायुज्य (मोक्ष) को प्राप्त होते है. (9)

इस त्रिलोकी में जितने भी ग्रह- भूत -पिशाच आदि विचरण करते है, वे मात्र इस शिवरक्षा स्रोत के पाठ से तत्काल दूर भाग जाते है. (10)

जो साधक भक्ति पूर्वक पार्वतीपति शंकर के अभयंकर नामक कवच को अपने कंठ में धारण करते है, तीनो लोक उनके वशीभूत हो जाते हैं. (11)

जिस प्रकार भगवान नारायण ने स्वप्न में याज्ञवल्क्य ऋषि को इस कवच का उपदेश किया किया था, उसी प्रकार मुनिश्रेष्ठ ने उसे प्रात:काल उठकर लिख दिया था.(12)

(याज्ञवल्क्य द्वारा रचित शिवरक्षा स्तोत्र सम्पूर्ण)