Monday 9 October 2023

(6.8.14) Why Shivaratri celebrated on Falgun Krishna Chaturdashi

 फाल्गुन कृष्णा चतुर्दशी को ही शिवरात्रि का पर्व क्यों ? Why Shivaratri celebrated on Falgun Krishna Chaturdashi

भगवान् शिव को प्रसन्न करने व अपनी मनोकामना पूर्ण करने का महोत्सव है , महाशिवरात्रि। इसके ठोस प्रमाण शिव पुराण  व स्कन्द  पुराण  में देखने को मिलते हैं।स्कंद पुराण का कथन है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिव जी का पूजन , जागरण व उपवास करने वाले व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता है। उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। विद्येश्वर संहिता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन जो प्राणी निराहार व जितेन्द्रिय रह कर उपवास रखता है, शिव लिंग के दर्शन करता है तथा पूजा करता है, वह जन्म मरण के बंधन से मुक्त होकर शिवमय हो जाता है। इस दिन भगवान् शिव की पूजा अर्चना करने से साधुओं को मोक्ष प्राप्ति , रोगियों  को रोगों से मुक्ति तथा सभी साधकों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा करने से गृहस्थ जीवन में चल रहा मत भेद समाप्त हो जाता है, अखंड सौभाग्य की  प्राप्ति होती है और साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

 फाल्गुन कृष्णा चतुर्दशी को ही शिवरात्रि का पर्व क्यों ?

भारतीय पंचाग के अनुसार प्रतिपदा से लेकर सोलह तिथियाँ हैं । प्रत्येक तिथि का कोई न कोई स्वामी होता है. जिस तिथि का स्वामी जो देवता होता है, उसी देवता का उस तिथि में व्रत पूजन करने से उसकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान् शिव हैं। इसलिए इस तिथि में भगवान् शिव की पूजा अर्चना करना उतम माना जाता है। यद्यपि प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी शिव रात्रि होती है किन्तु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के निशीथ ( रात्रि ) में " शिव  लिङ्ग तयोद्भूत: कोटि सूर्य समप्रभ:।“ ईशान संहिता के इस वाक्य के अनुसार ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था, इस कारण यह महा शिव रात्रि मानी जाती है।