Sunday 8 October 2023

(8.1.29) शरद पूर्णिमा व शरद पूर्णिमा व्रत Sharad Poornima tatha Sharad Poornima Vrat Ka Mahatva

 शरद पूर्णिमा व शरद पूर्णिमा व्रत Sharad Poornima tatha Sharad Poornima Vrat Ka Mahatva

आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है । धर्म शास्त्रों में इस दिन को कोजागर व्रत भी माना जाता है । इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। 

भगवान श्री कृष्ण ने जगत की भलाई के लिए इस दिन को रास उत्सव का दिन निर्धारित किया था। कहा जाता है कि इस रात्रि में चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इस दिन मंदिरों में विशेष सेवा पूजा की जाती है।  भगवान को रात्रि में नैवेद्य के लिए खीर का भोग लगाया जाता है। चांदनी में भगवान को विराजमान किया जाता है और श्वेत वस्त्र से श्रृंगार किया जाता है। शरद पूर्णिमा से ही कार्तिक स्नान और व्रत प्रारंभ हो जाते हैं।  माताएं अपनी संतान की मंगल कामना के लिए व्रत रखती हैं और देवी देवताओं का पूजन करती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक आ जाता है इसलिए अमृत प्राप्त करने की इच्छा से शरद पूर्णिमा की रात्रि को घर की छत पर खीर रख देते हैं और अगले दिन इस खीर को खाया जाता है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी में सुई में धागा पिरोने की भी प्रथा है। कहा जाता है कि इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।

उद्यापन 

यदि कोई शरद पूर्णिमा का व्रत रखें तो वह तेरह पूर्णिमा होने के बाद उद्यापन करे। उद्यापन में एक लोटे में मेवा भरकर रोली, चावल से पूजा करके एक रुपया चढ़ा कर  अपनी सासू के पांव छूकर उसे यानि सासू को दे दिया जाता है।