Sunday 25 June 2023

(6.11.7) Ram Rajya Kaisa Tha

 

रामराज्य कैसा था ? रामराज्य का प्रमाणिक विवरण  Ramraajya Kaisa Tha

रामराज्य कैसा था

त्रेतायुग में भगवान् द्वारा स्थापित आदर्श शासन ही रामराज्य कहलाता है. रामराज्य भारतीय दर्शन का पर्याय है. यह ऐसा जीवन दर्शन है, जिसमें धर्म संस्कृति, लौकिक एवं पारलौकिक सभी विषयों का समावेश है. रामराज्य केवल एक शासन प्रणाली ही नहीं है, वरन वह एक ऐसे जीवन यापन का ढंग है, जिसमें सभी नागरिक अपनी मर्यादाओं का पालन करते हैं. तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में रामराज्य के सम्बन्ध में पर्याप्त प्रकाश डाला है. उनके यानि तुलसीदासजी के अनुसार –

रामराज्य में दैहिक, दैविक, और भौतिक ताप किसी को नहीं व्यापते. सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते हैं और वेदों में बताई हुई नीति यानि मर्यादा में तत्पर रहकर अपने अपने धर्म यानि कर्तव्य का पालन करते हैं.

धर्म अपने चारों चरणों (सत्य, शौच, दया और दान) से जगत में परिपूर्ण हो रहा है, स्वप्न में भी कहीं पाप नहीं है.

छोटी उम्र में मृत्यु नहीं होती है, न किसी को कोई पीड़ा होती है. सभी के शरीर सुन्दर और निरोग हैं. न कोई दरिद्र है, न कोई दुखी है और न ही कोई दीन है. न कोई मूर्ख है और न कोई शुभ लक्षणों से विहीन है.

सभी दम्भ रहित हैं, धर्मपरायण हैं और पुण्यात्मा हैं. पुरुष और स्त्री सभी चतुर और गुणवान हैं. सभी गुणों का आदर करने वाले और पण्डित तथा ज्ञानी हैं. सभी कृत्यज्ञ हैं. कपट या धूर्तता किसी में नहीं है.

रामराज्य में जड़, चेतन, सारे जगत में काल, कर्म स्वभाव और गुणों से उत्पन्न हुए दुःख किसी को भी नहीं होते हैं.

राजनीति में शत्रुओं को जीतने और चोर- डाकुओं आदि को दमन करने के लिये साम, दाम, दण्ड और भेद – ये चार उपाय किये जाते हैं. लेकिन रामराज्य में कोई शत्रु ही नहीं है, इसलिए जीतो शब्द केवल मन को जीतने के लिए कहा जाता है. कोई व्यक्ति अपराध करता ही नहीं है, इसलिए दण्ड किसी को नहीं होता. दण्ड शब्द केवल सन्यासियों के हाथ में रहने वाले दण्ड के लिए ही रह गया है. तथा सभी अनुकूल होने के कारण भेदनीति की आवश्यकता ही नहीं रह गयी है. भेद, शब्द केवल सुर-ताल के भेद के लिए ही प्रयोग में लाया जाता है.

वनों में वृक्ष सदा फूलते और फलते हैं. हाथी और शेर वैर भूलकर एक साथ रहते हैं. पक्षी मीठी बोली बोलते हैं, भाँति – भाँति के पशुओं के समूह वन में निर्भय होकर विचरते और आनद करते हैं. शीतल, मन्द, सुगन्धित पवन चलता रहता है. गायें मनचाहा दूध देती हैं. धरती सदा खेती से भरी रहती है.

समुद्र अपनी मर्यादा में रहते हैं. वे लहरों द्वारा किनारों पर रत्न डाल देते हैं, जिन्हें मनुष्य पा जाते हैं. सब तालाब कमलों से परिपूर्ण हैं. सभी प्रदेश अत्यंत प्रसन्न हैं.