Wednesday 14 June 2023

(7.3.3) Ravi Pushyamrit Yog / Ravi Pushya Yog

 

रवि पुष्यामृत योग या रवि पुष्य योग क्या होता है तथा इसका महत्त्व Importance of Ravi Pushyaamrit Yog Ravi Pushya Yog

योग किसे कहते हैं

मुहूर्त शास्त्र में नक्षत्र तथा वार या तिथि तथा वार के एक साथ आने से कुछ विशेष योग बनते हैं. ये योग मुहूर्त शास्त्र के दृष्टिकोण से बहुत महत्त्व रखते हैं. ऐसे योग शुभ भी होते हैं और अशुभ भी होते हैं. शुभ योग अच्छे तथा अशुभ योग बुरे परिणाम देते हैं. शुभ योग की अवधि में किया गया कार्य शुभ फल दायक होता है. रवि पुष्यामृत शुभ योगों में एक शुभ योग है. 

रवि पुष्यामृत योग कैसे बनता है

रविवार और पुष्य नक्षत्र के एक साथ आने से यानि रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र के आने से रवि पुष्यामृत योग बनता है. रविवार और पुष्य नक्षत्र के योग से बनने के कारण ही इसे रवि पुष्यामृत योग कहा जाता है.

रवि पुष्यामृत योग का महत्व

रवि पुष्यामृत योग अत्यंत ही शुभ योग है. यह योग सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करने वाला योग है. इस योग में भूमि या मकान खरीदना हो, किसी प्रतिष्ठान का  उद्घाटन करना हो, वाहन खरीदना हो, व्यापार या दूकान शुरू करना हो या अन्य कोई भी शुभ कार्य शुरू करना हो और अन्य कोई उपयुक्त मुहूर्त नहीं मिल रहा हो तो यह योग यानि रवि पुष्यामृत योग एक अच्छा विकल्प है.

इसके अतिरिक्त यह योग मन्त्र सिद्धि और यन्त्र आदि बनाने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. इस योग में पूजा अर्चना करना भी बहुत फलदायी माना गया है. लेकिन विवाह में रवि पुष्य योग वर्जित है अर्थात रवि पुष्य योग में विवाह नहीं किया जाता है.