Wednesday 11 March 2015

(3.1.10) Gayatri Mantra ke Upyog / Uses of Gayatri Matra

 Various uses of Gayatri Mantra /गायत्री मंत्र के विविध उपयोग (हिंदी में )

गायत्री मंत्र व्यक्ति को सद मार्ग की ओर ले जाता है, उसकी बुद्धि को निर्मल करता है। गायत्री मंत्र के जप से व्यक्ति की बुद्धि सतोगुणी दिव्य तत्वों से आच्छादित हो जाती है जिससे मनुष्य कल्याणकारी मार्ग की ओर बढ़ता है।  गायत्री उपासना व्यक्तित्व को परिष्कृत और प्रखर करती है और साथ ही सांसारिक और पारलौकिक सुख प्रदान करती है। गायत्री मंत्र आध्यात्मिक और भौतिक सिद्धियाँ प्रदान करता है।  
विशेष:- निश्चित रूप से ही गायत्री मंत्र के जप के प्रभाव से विपत्तियों का सामना करने के लिए के एक प्रकार का मनोबल प्राप्त होता है तथा सूझबूझ उत्पन्न होती है और अप्रत्याशित सहायता मिलती है। परन्तु यदि कोई व्यक्ति गायत्री मंत्र का उपयोग दूसरों के अनिष्ट के लिए करना चाहे तो साधक को निराशा ही हाथ लगेगी।
गायत्री मंत्र के विविध उपयोग निम्नांकित हैं - 
1. बुद्धि विकास के लिए- (Gayatri Mantra for wisdom / intelligence) 
गायत्री मंत्र बुद्धि को पवित्र और निर्मल व प्रखर  बनाता है इसके लिए साधक को चाहिये कि वह स्नान आदि से निवृत्त होकर पूर्व की तरफ मुँह करके बैठे। अपनी आँखों को अधखुली रखे। सूरज की किरणों को अपने मष्तिष्क पर पड़ने दे । गायत्री मंत्र के पहले तीन बार ॐ जोड़ दे और श्रद्धा पूर्वक मंत्र का जप करें। जप कम से कम एक माला का तो होना ही चाहिए। अधिक कर सके तो तीन, पांच, सात मालाओं का जप किया जा सकता है। जप के बाद दोनों हाथों की हथेलियों को सूर्य की तरफ करे तथा भावना करे कि उनमे सूर्य की शक्ति प्रविष्ट हो रही है। गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हुए हथेलियों को आपस में रगड़े और उनको अपने मस्तक, ललाट, नेत्रों, मुँह , गले, कान आदि गले के सभी भागों पर फेरे और भावना करे कि  आपके मस्तिष्क के तंतु खुल रहे हैं और आप सदबुद्धि  संपन्न होते जा रहे हैं और आपकी बुद्धि प्रखर होती जा रही है।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
 (2) लक्ष्मी प्राप्ति के लिए- (Gayatri mantra for wealth/ money)                                                                                              
आर्थिक स्थिति कमजोर हो, परिवार पालन पोषण के लिए पर्याप्त आय न हो, नौकरी नहीं मिल रही हो अथवा कर्जदारी बढ़ रही हो तो साधक को चाहिए कि वह तीन बार "श्रीं" बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर गायत्री मंत्र का जप करे (अर्थात गायत्री मंत्र के पूर्व में और अंत में तीन बार "श्रीं" लगाकर जप करें।) पीतवर्ण लक्षी का प्रतीक मन जाता हैं अतः जप के पूर्व हाथी पर सवार पीताम्बर धारी लक्ष्मी का ध्यान करे। पूजा में आसन यज्ञोपवीत, वस्त्र, पुष्प सभी पीले होने चाहिए। भोजन में भी पीली वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। जप करते समय इस प्रकार ध्यान करें कि गायत्री माता प्रसन्न होकर आपको सफलता का आशीर्वाद दे रही है और धन की वर्षा कर रही है ।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्

(3) संतान प्राप्ति के लिए- ( Gayatri mantra for good son/ offspring /progeny)
गर्भ की स्थापना नहीं हो रही हो या गर्भ गिर जाता हैं तो संतान प्राप्ति के लिए इस प्रकार साधना करनी चाहिए:-
इस साधना को पति पत्नी दोनों करें। पुष्प हाथ में धारण किये हुए किशोर अवस्था वाली, श्वेत वस्त्र व आभूषणों से विभूषित गायत्री का ध्यान करें। "यं" बीज मंत्र के तीन बार सम्पुट लगाकर गायत्री मंत्र का जप करें। माला चन्दन की होनी चाहिए। गायत्री जप के पूर्व प्राणायाम की निम्नांकित विधि का उपयोग करना चाहिए:-
पूरक में धीरे-धीरे पेडू तक पूरी सांस भर लें। अंतर कुम्भक में जब सांस रोकें तो "यं" बीज  मंत्र का सम्पुट लगाकर तीन बार गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। तीन बार अधिक प्रतीत हो तो एक बार जप करना चाहिए। फिर धीरे-धीरे सांस को बहार निकाल देवे। रेचक में उतना ही समय लगना चाहिए जितना कि  पूरक में लगाया था। बाह्य कुम्भक में भी अंतर कुम्भक के सामान समय लगना  चाहिए। इस प्रकार नित्य दस बार प्राणायाम करना चाहिए। इस प्रकार पेडू में गायत्री शक्ति का आकर्षण किया जाता हैं और पति-पत्नी अपने अन्दर शुभ्रवर्ण ज्योति का ध्यान करना चाहिए। साथ ही यह ध्यान करें कि देवी गायत्री उत्तम संतान का आशीर्वाद दे रही है। इसके बाद गायत्री मंत्र का कम से कम एक माला का जप करना चाहिए।
जब तक साधना चलें, प्रत्येक रविवार को भोजन में श्वेत वस्तुओं का ही प्रयोग करें। इनमे दूध, दही, चावल आदि श्रेष्ठ माने जातें हैं। गायत्री शक्ति को धारण कराने वाली इस साधना से चरित्रवान, बुद्धिमान और स्वस्थ संतान की आशा करनी चाहिए।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्

(4) विरोधियों को अपने अनुकूल बनाने के लिए ( Gayatri mantra For making opposing persons in favour)
विरोधी कितना भी शक्तिशाली, उच्च पद पर आसीन हो और आपके हर काम में बाधा उत्पन्न कर रहा हो तो उसे अपने अनुकूल बनाने के लिए तीन प्रणव (ॐ) लगाकर गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। जपकाल में इस प्रकार ध्यान करना चाहिए कि हमारे मष्तिष्क में नीलवर्ण का विद्युत  प्रवाह निकल रहा है और उसके (विरोधी के) मस्तिष्क में जा रहा हैं और वह उससे प्रभावित होकर हाथ जोड़कर हमारे सामने खड़ा होकर प्रसन्न मुद्रा में हमारे अनुकूल विचारों में बातचीत कर रहा है और अपनी मित्रता व सहयोग का आश्वाशन दे रहा है।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
(5) राजकीय कार्यों में सफलता के लिए-( Gayatri mantra For success in govt. work)
नौकरी के लिए किसी अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना हो, कोई आवश्यक आवेदनपत्र स्वयं देना हो, कोई मुक़दमा या किसी प्रकार का कोई कार्य हो तो इस प्रकार साधना करनी चाहिए:-
इस तरह के कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए स्वर योग का प्रयोग किया जाता हैं। पहले यह देखना चाहिए कि बायाँ या दायाँ कौनसा स्वर चल रहा है। बायाँ स्वर चलने पर हरित वर्ण ज्योति का ध्यान करें, दाहिना स्वर चलने पर पीत वर्ण प्रकाश का ध्यान करें और सप्त व्याहृतियाँ (ॐ भू: भुवः स्वः तपः जनः महः सत्यम) सहित मानसिक रूप से गायत्री मंत्र का कम से कम बारह बार जप करें। जप करते समय उसी हाथ के अंगूठे के नाखून पर दृष्टि बनी रहे जो स्वर चल रहा है। इस प्रकार कार्यालय में प्रविष्ट हो और भावना  करें कि वह अधिकारी हमारी इच्छा के अनुरूप हमसे वार्तालाप कर रहा है। जब तक कार्यालय में रहे इसी प्रकार का मानसिक जप व भावना करते रहना चाहिए। यह साधना प्रतिकूल विचारों को अनुकूल बना देती है।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्

(6) अनिष्टों का नाश करने के लिए:-( Gayatri mantra For removing undesired situations )
 किसी बुरे शकुन के उपस्थित होने पर या किसी कार्य को आरम्भ करने में आशंका हो तो गायत्री मंत्र की एक माला का जप करके वह कार्य आरम्भ किया जा सकता है। विवाह आदि में चन्द्रमा, बृहस्पति, सूर्यादि की कोई बाधा बताई जाती हो, विवाह नहीं हो रहा हो या ऐसी ही कोई और रूकावट हो तो गायत्री मंत्र का नौ दिन का चौबीस हजार जप का एक लघु अनुष्ठान करना चाहिए। इससे इस प्रकार की सभी बाधाएं शांत हो जाती हैं और किसी भी अनिष्ट का भय नहीं रहता है।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
(7) महिलाओं के लिए सुखी गृहस्थ बनाने वाली साधना:- ( Gayatri mantra For happiness in family )
 दाम्पत्य जीवन को सुखी समृद्ध बनाने के लिए गायत्री मंत्र जप श्रेष्ठ है। यह उपासना स्वयं साधिका के स्वभाव में ऐसा परिवर्तन लाती है कि  वह  अपने परिवार के लिए हँसती-खेलती मूर्ती सी लगने लगती है। दुःख, अभाव और कष्ट में भी वह प्रसन्नता पूर्वक अपने परिवार का साथ देती है। दुःख से चिंतित होकर वह पति या परिवार की चिंता नहीं बढाती है बल्कि उपयुक्त सलाह व सहयोग की भावना से उस चिंता को दूर कर देती है। पतन के मार्ग पर चल रही संतान को भी वह सद् मार्ग पर ला सकती है। परिवार को सुखी व संपन्न बनाने के लिए गायत्री साधना इस प्रकार करनी चाहिए:-
पूर्व की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन  पर बैठकर तुलसी की माला से प्रतिदिन गायत्री मंत्र की एक माला का जप करना चाहिए। पीत वस्त्र तथा पीले सिंह पर सवार गायत्री का ध्यान करे। पूजा की सभी वस्तुएं पीली हो जैसे पीले  रंग के पुष्प, पीले चावल (चावल हल्दी से पीले किये हुए) और वस्त्र भी पीले रंग के हो। भोजन में भी एक वस्तु पीली हो तो उत्तम रहता है। हर पूर्णमासी को व्रत रखकर विशेष जप साधना करनी चाहिए। कुमार्गी बच्चो को सुधरने के लिए साधना से बचे हुए जल को उन्हें पिलाना चाहिए।
गोदी के बच्चे को गोद में लेकर जप करे तो वह हर प्रकार से स्वस्थ बना रहता है। इस हेतु साधिका को चाहिए कि वह गुलाबी कमल पुष्पों से लदी हुई हंसरूढ़, शंख चक्र धारण किये हुए गायत्री का ध्यान करे। दूध पिलाते हुए भी  जप करती रहे तो बच्चा सदाचारी होता है तथा स्वस्थ रहता है। दूध पिलाते समय माँ को भावना करनी चाहिए कि उसके दूध के माध्यम से दिव्य शक्तियों का संचार उसके बच्चे में हो रहा है और बच्चा स्वस्थ तथा आयुवान होता जा रहा है।
गृहस्थ जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट और विपत्तियाँ आती हैं जिनको दूर करने में यदि घोर निराशा की स्थिति उत्पन्न हो रही हो तो गायत्री माँ का आँचल पकड़ना चाहिए अर्थात गायत्री का मानसिक जप करते रहना चाहिए और भावना करनी चाहिए कि माँ गायत्री की कृपा से या तो निराशा की स्थिति समाप्त हो जायेगी या उसकी समाप्ति के लिए कोई मार्ग सूझ जाएगा। श्रद्धा पूर्वक गायत्री की उपासना करने वाला कभी निराश नहीं होता हैं।


ॐ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्

(8) बुरे मुहूर्त और शकुन का परिहार:-Gayatri mantra removing evil omens)
कभी-कभी किसी कार्य  को आरम्भ करते समय कोई खराब मुहूर्त, शकुन अथवा कोई निराशावादी विचार उत्पन्न हो जाता है। परिणाम स्वरुप कार्य करने में झिझक होती है, मन में आशंका उत्पन्न होती हो तो ऐसी परिस्थिति में गायत्री मंत्र की एक माला का जप कर कार्य प्रारंभ किया जाना चाहिए साथ ही मन में यह  धारणा करें कि कार्य से जुडी हुई आशंका व अनिष्ट निर्मूल हो गए हैं। देवी गायत्री की कृपा से वह कार्य निर्बाध रूप से पूर्ण होगा।


ॐ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्