Friday 13 March 2015

(3.1.17) Gayatri mantra for happiness in the family

 महिलाओं के लिए सुखी गृहस्थ बनाने वाली गायत्री साधना ( Gayatri mantra For happiness in family )

 दाम्पत्य जीवन को सुखी समृद्ध बनाने के लिए गायत्री मंत्र जप श्रेष्ठ है। यह उपासना स्वयं साधिका के स्वभाव में ऐसा परिवर्तन लाती है कि  वह  अपने परिवार के लिए हँसती-खेलती मूर्ती सी लगने लगती है। दुःख, अभाव और कष्ट में भी वह प्रसन्नता पूर्वक अपने परिवार का साथ देती है। दुःख से चिंतित होकर वह पति या परिवार की चिंता नहीं बढाती है बल्कि उपयुक्त सलाह व सहयोग की भावना से उस चिंता को दूर कर देती है। पतन के मार्ग पर चल रही संतान को भी वह सद् मार्ग पर ला सकती है। परिवार को सुखी व संपन्न बनाने के लिए गायत्री साधना इस प्रकार करनी चाहिए:-
पूर्व की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन  पर बैठकर तुलसी की माला से प्रतिदिन गायत्री मंत्र की एक माला का जप करना चाहिए। पीत वस्त्र तथा पीले सिंह पर सवार गायत्री का ध्यान करे। पूजा की सभी वस्तुएं पीली हो जैसे पीले  रंग के पुष्प, पीले चावल (चावल हल्दी से पीले किये हुए) और वस्त्र भी पीले रंग के हो। भोजन में भी एक वस्तु पीली हो तो उत्तम रहता है। हर पूर्णमासी को व्रत रखकर विशेष जप साधना करनी चाहिए। कुमार्गी बच्चो को सुधरने के लिए साधना से बचे हुए जल को उन्हें पिलाना चाहिए।
गोदी के बच्चे को गोद में लेकर जप करे तो वह हर प्रकार से स्वस्थ बना रहता है। इस हेतु साधिका को चाहिए कि वह गुलाबी कमल पुष्पों से लदी हुई हंसरूढ़, शंख चक्र धारण किये हुए गायत्री का ध्यान करे। दूध पिलाते हुए भी  जप करती रहे तो बच्चा सदाचारी होता है तथा स्वस्थ रहता है। दूध पिलाते समय माँ को भावना करनी चाहिए कि उसके दूध के माध्यम से दिव्य शक्तियों का संचार उसके बच्चे में हो रहा है और बच्चा स्वस्थ तथा आयुवान होता जा रहा है।
गृहस्थ जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट और विपत्तियाँ आती हैं जिनको दूर करने में यदि घोर निराशा की स्थिति उत्पन्न हो रही हो तो गायत्री माँ का आँचल पकड़ना चाहिए अर्थात गायत्री का मानसिक जप करते रहना चाहिए और भावना करनी चाहिए कि माँ गायत्री की कृपा से या तो निराशा की स्थिति समाप्त हो जायेगी या उसकी समाप्ति के लिए कोई मार्ग सूझ जाएगा। श्रद्धा पूर्वक गायत्री की उपासना करने वाला कभी निराश नहीं होता हैं।
 ॐ भूर्भुव: स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात !!