Saturday 2 September 2023

(6.7.5) लक्ष्मी कहाँ नहीं रहती है ? लक्ष्मी कहाँ वास नहीं करती है. Laxmi Kahan Nahin Rahati Hai?

 लक्ष्मी कहाँ नहीं रहती है ? लक्ष्मी कहाँ वास नहीं करती है. Laxmi Kahan Nahin Rahati Hai?

 लक्ष्मी कहाँ नहीं रहती है ?

लक्ष्मी कहाँ नहीं रहती है इस संबंध में देवी लक्ष्मी स्वयं कहती हैं कि मैं मिथ्यावादी अर्थात झूठ बोलने वाले, धर्म ग्रंथों को कभी भी नहीं देखने वाले यानि धर्म ग्रंथों को पढ़ने सुनने से परहेज करने वाले, पराक्रम से हीन, दुष्ट स्वभाव वाले पुरुषों के घर मैं नहीं जाती हूँ.  

सत्य से हीन, किसी की धरोहर छीनने वाले, झूठी गवाही देने वाले, विश्वासघात करने वाले, तथा कृतघ्न पुरुषों के घर भी मैं नहीं जाती हूँ.

चिंता ग्रस्त, भय में सदा डूबे हुए, शत्रुओं से घिरे हुए, अत्यंत पातकी, कर्जदार और अत्यन्त कंजूस के घर मैं नहीं जाती हूँ. परिणाम स्वरुप वे जीवन भर दीन हीन ही बने रहते हैं.

मैं दीक्षाहीन, शोकग्रस्त, मन्दबुद्धि और व्यभिचारी मनुष्य के घर में भी मैं नहीं रहती हूँ.

कटुभाषी, कलह प्रिय अर्थात जिस परिवार में कलह या लड़ाई झगड़े का वातावरण होता है, ऐसे परिवार में भी मैं नहीं रहती हूँ.

जिस घर में भगवान की पूजा और कीर्तन नहीं होते हैं अर्थात जहाँ सात्विक वातावरण का प्रभाव नहीं होता है, जिस व्यक्ति के मन में भगवान की प्रशंसा का भाव नहीं होता है, मैं वहाँ नहीं रहती हूँ.     

मैं अकर्मण्य, आलसी, नास्तिक, परलोक और ईश्वर को नहीं मानने वाले, वर्णसंकर   जारज,  कृतघ्न यानि उपकार को भुला देने वाले, अपनी बात पर स्थिर नहीं रहने वाले, कठोर वचन बोलने वाले, चोर और गुरुजन के प्रति इर्ष्या – द्वेष तथा डाह रखने वाले पुरुषों के घर में भी मैं कभी नहीं रहती हूँ.

मैं ऐसे पुरुषों के पास भी कभी नहीं रहना चाहती, जिनमें तेज, बल और आत्म गौरव का सदा अभाव रहता है. जो लोग थोड़े में ही कष्ट का अनुभव करने लगते हैं, जरा – जरा सी बात पर क्रोध करने लगते हैं तथा जिनके मनोरथ कभी कार्यरूप में परिणित नहीं होते हैं.

चाणक्य नीति के अनुसार गन्दा वस्त्र पहनने वाले, दांतों को साफ़ नहीं रखने वाले, अधिक भोजन करने वाले, निष्ठुर भाषण करने वाले तथा सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सोने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी त्याग देती है.

विदुर नीति के अनुसार जो व्यक्ति दुःख से पीड़ित, प्रमादी, नास्तिक, आलसी और उत्साह रहित हैं, उनके यहाँ भी लक्ष्मी वास नहीं करती है. इसके अतिरिक्त महात्मा विदुर आगे कहते हैं कि जैसे हंस सूखे सरोवर के आस पास ही मंडराकर रह जाते हैं, भीतर प्रवेश नहीं करते, उसी प्रकार जिसका चित्त चंचल है, जो अज्ञानी और इन्द्रियों का गुलाम है, उसके घर में लक्ष्मी प्रवेश नहीं करती है.