Tuesday 19 September 2023

(6.7.8) श्री सूक्त (आर्थिक सम्पन्नता हेतु) Shree Sukt for wealth and prosperity / Shri Sukt in Hindi

 श्री सूक्त (आर्थिक सम्पन्नता हेतु) Shree Sukt for wealth and prosperity / Shri Sukt in Hindi

श्री सूक्त / श्री सूक्तम्

श्री सूक्त, देवी लक्ष्मी से सम्बंधित स्तोत्रों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्तोत्र है. यह स्तोत्र भौतिक कामनाओं की पूर्ति तथा यश प्राप्त करने का अमोघ साधन है.

श्री सूक्त का हिंदी रूपान्तरण इस प्रकार है –

हे जातवेद, अग्निदेव, आप सुवर्ण के समान रंगवाली, किंचित हरितवर्ण विशिष्टा, सोने और चाँदी के हार पहनने वाली, चन्द्रवत प्रसन्नकान्ति, स्वर्णमय लक्ष्मीदेवी का मेरे लिए आह्वान करें. (१)

हे जातवेद, अग्निदेव, उन लक्ष्मीदेवी का, जिनका कभी विनाश नहीं होता है, तथा जिनके आगमन से मैं स्वर्ण, गायें, घोड़े तथा पुत्रादि प्राप्त करूँगा, मेरे लिए आप उनका आह्वान करे. (२)

देवी, जो घोड़े जुते रथ के मध्य में विराजमान रहती हैं. जो हस्तिनाद सुनकर प्रसन्न होती हैं, उन्हीं श्रीदेवी का मैं आह्वान करता हूँ. सबकी आश्रयदाता माता लक्ष्मी मेरे घर में सदैव निवास करे.(३)

जिस देवी का स्वरुप, मन और वाणी का विषय न होने के कारण, अवर्णनीय है तथा जिनके अधरों पर सदैव मुस्कान रहती है, जो चारों ओर स्वर्ण से ओतप्रोत हैं, जिनका ह्रदय दया से द्रवित है, जो अपने भक्तों के मनोरथों को पूर्ण करने वाली हैं, कमल के आसन पर विराजमान और पद्मवर्णा हैं, मैं ऐसी देवी लक्ष्मी को मेरे घर में आने के लिए उनका आह्वान करता हूँ. (४)

चन्द्रमा के समान प्रकाश वाली, श्रेष्ठ कान्ति वाली, अपनी कीर्ति से देदीप्यमान, स्वर्गलोक में देवगणों द्वारा पूजिता, उदारशीला, पद्महस्ता लक्ष्मी देवी की मैं शरण ग्रहण करता हूँ. आपकी कृपा से मेरी दरिद्रता नष्ट हो. (५)

हे सूर्य के समान कान्ति वाली देवी, आपके ही तप से वृक्षों में श्रेष्ठ बिल्ववृक्ष उत्पन्न हुआ है. उस बिल्व वृक्ष का फल आपके अनुग्रह से मेरी बाहरी और भीतरी दरिद्रता को दूर् करे. (६)

हे देवी लक्ष्मी, देव सखा कुबेर और उनके मित्र मणिभद्र तथा दक्ष प्रजापति की कन्या कीर्ति मुझे प्राप्त हो अर्थात मुझे धन और यश की प्राप्ति हो. मैं इस राष्ट्र में पैदा हुआ हूँ. मुझे कीर्ति और समृद्धि प्रदान करें. (७)

लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी अर्थात दरिद्रता की अधिष्ठात्री देवी का, जो क्षुधा और विपासा से मलीन व क्षीणकाय रहती है, मैं उसका नाश चाहता हूँ. हे देवी, मेरे घर से हर प्रकार की दरिद्रता और अमंगल को दूर करो. (८)

सुगन्धित पुष्प के समर्पण करने से प्राप्त करने योग्य, किसी से भी न दबने योग्य, धन धान्य से सर्वदा पूर्ण कर समृद्धि देने वाली, समस्त प्राणियों की स्वामिनी तथा संसार प्रसिद्ध लक्ष्मी का मैं अपने घर में सादर आह्वान करता हूँ. (९)

हे माँ लक्ष्मी आपकी कृपा से मेरे मनोरथ, संकल्प सिद्धि एवं वाणी की सत्यता मुझे प्राप्त हो. आपकी कृपा से मुझे गाय आदि पशुओं के दूध, दही एवं विभिन्न प्रकार के भोजनादि प्राप्त हो, हे माँ लक्ष्मी सभी प्रकार की संपत्ति को आप मुझे प्राप्त कराये अर्थात मैं लक्ष्मीवान व कीर्तिमान बनूँ (१०)

हे देवी लक्ष्मी, आप कर्दम नामक पुत्र से युक्त हो, हे लक्ष्मी पुत्र कर्दम, आप मेरे घर में प्रसन्नता के साथ निवास करो, और कमल की माला धारण करने वाली आपकी माता श्री लक्ष्मीजी को मेरे घर में स्थापित कराओ. (११)

हे लक्ष्मी के पुत्र चिक्लीत आप मेरे घर में निवास करें. केवल आप ही नहीं, आपके साथ दिव्य गुणों से युक्त सबको आश्रय देने वाली लक्ष्मी को भी मेरे घर में निवास कराओ. (१२)

हे अग्निदेव, आप मेरे घर में पुष्करिणी अर्थात हाथियों की सूंडों से आद्र शरीर वाली, पुष्टि प्रदान करने वाली, पीतवर्ण वाली, कमल की माला धारण करने वाली, चन्द्रमा के समान शुभ्र कान्ति से युक्त , स्वर्णमयी लक्ष्मी देवी का मेरे यहाँ आह्वान करें. (१३)

हे अग्ने, जो दुष्टों का निग्रह करने वाली होने पर भी कोमल स्वभाव की हैं, जो मंगलदायिनी, अवलंबन प्रदान करने वाली, सुवर्ण माला धारिणी, सूर्य स्वरूपा तथा हिरण्यमयी हैं, उन लक्ष्मीदेवी का मेरे लिए आह्वान करें. (१४)

हे अग्ने, कभी नष्ट न होने वाली, उन लक्ष्मी देवी का मेरे यहाँ आह्वान करें, जिनके आगमन से मुझे बहुत सारा धन, गायें, दासियाँ, अश्व और पुत्रादि प्राप्त हो. (१५)

जिस व्यक्ति को सुख समृद्धि व अतुल लक्ष्मी की कामना हो, वह प्रतिदिन पवित्र और सयंमशील होकर अग्नि में घी की आहुति दे तथा इन पन्द्रह ऋचाओं वाले श्री सूक्त का पाठ करे. (१६)

इति श्री सूक्त सम्पूर्ण