Wednesday 7 October 2015

(2.2.3) Practical Quotations in Hindi

Practical Quotations in Hindi व्यवहारिक कोटेसन 

(1) अपने कार्य के प्रति निष्ठा रखो। कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता है। निष्ठा से किया गया कार्य स्वतः ही बड़ा लगने लगता है।
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(2) अपने सहकर्मियों का सम्मान करें व उन्हें  नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करें। अपने अधीनस्थों पर विश्वास करें परन्तु उनकी गतिविधि उनके व उनके द्वारा किये गए कार्य पर अपनी नज़र रखें।
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(3) किसी कार्य को  जल्दबाजी या  हडबड़ाहट में नहीं करें क्योंकि ऐसा करना आपके कार्य की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
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(4) दूसरे  व्यक्ति की बात को पूरी तरह सुने। अपनी बात को संक्षेप में परन्तु  तथ्यात्मक व  प्रभावशाली तरीके से कहें।
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(5) किसी व्यक्ति को तब तक बुरा मत समझो जब  तक वह बुरा सिद्ध न हो जाये।                                           =====                                              
(6) दूसरो  के अनुभवों से सीखिए परन्तु अपनी मौलिकता की छाप आपके कार्य पर रहनी चाहिये।आपके द्वारा किया गए कार्य थोडा अलग लगना चाहिये।                                                                                                    =====                    
(7) कुछ व्यक्तियों को हमेशा के लिए और सब व्यक्तियों को कुछ समय के लिए मूर्ख  बनाया जा सकता है परन्तु सब व्यक्तियों को हमेशा के लिए मूर्ख नहीं बनाया जा सकता है। इसलिये झूठ या कुतर्क का सहारा मत  लो। यह आपके कमजोर व्यक्तित्त्व का संकेतक माना जाएगा।
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(8)किसी भी चीज़ की अति से बचो ,चाहे इस अति का सम्बन्ध अच्छाई से हो चाहे बुराई से हो।
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(9) मन:स्थिति संतुलित और दृष्टिकोण व्यवहारिक रखो।
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(10) रातोंरात आपके जीवन में चमत्कार हो जाएगा और आप धनवान तथा स्मृद्धि शाली बन जाओगे , ऐसी कल्पना से बचो। क्योकि ऐसी कल्पना व्यक्ति के मन में दूसरो की वस्तु-धन आदि हड़पने की लालसा व बेईमानी  करने  की इच्छा अंकुरित करती है जो उसके जीवन की सम्पूर्ण गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
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(11) अनुचित तरीके से कमाया हुआ धन गलत मार्ग की ओर ले जाता है। दूसरो को दुखी करके प्राप्त किया हुआ धन कल्याणकारी नहीं हो सकता भले ही थोड़े समय के लिये हमारे मन को राजी कर दे।
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(12) जो आपका है वह जाएगा नहीं और जो चला गया वह आपका नहीं था। इसे परमसत्ता के द्वारा निर्धारित व्यवस्था समझ कर जो चला गया उसके प्रति मन में उदासी या अप्रसन्नता लाने से बचे, क्योंकि  कई बातें व्यक्ति के नियंत्रण में नहीं होती हैं ।
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(13) प्रकृति का विस्तार अनंत है। यदि कोई व्यक्ति बहुत कुछ प्राप्त कर ले फिर भी किसी न किसी वस्तु का अभाव रहेगा। अत: बुद्धिमान मनुष्य अधिक पाने का रचनात्मक प्रयास तो  करता है, परन्तु प्राप्त वस्तुओं  का ही उत्तम उपयोग करता है न कि अप्राप्त वस्तुओं की चाहत में दुखी होता है।
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(14) अपनी सफलता से सीखें ताकि  आप उन्हें दोहरा सकें, अपनी असफलता व गलतियों से सीखे। ताकि ऐसी गलतियाँ दुबारा न हो।
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(15) अपने जीवन में हमेशा ही अच्छा घटित होने की उम्मीद करे फिर भी कुछ विपरीत घटित हो जाए तो जाए तो उसे ईश्वर द्वारा हमारे हित के लिए घटित  किया हुआ  माने। हमारा अच्छा-बुरा हमारे बजाय ईश्वर ज्यादा जानता है।
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(16) स्वयं को आवश्यकता से अधिक आलोचनात्मक होकर नही देखे। अपने मजबूत बिन्दुओ का विशलेषण   करे और कमियों को दूर करने का प्रयास करे परन्तु कमियो या कमजोरियों पर ज्यादा जोर देकर कुंठित होने से बचे।
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(17) दिल का काम दिमाग से और दिमाग का काम दिल से मत करो।
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(18)परिवार में छोटे-बड़े का ध्यान रखते हुए आचरण करे।  अपनी ओर  से सोहार्द बनाये रखने की पहल करे। छोटी- छोटी अप्रिय बातो व् घटनाओं को अधिक तूल नही देवे। परिवार की नीव विश्वास पर टिकी है। हर बात को संदेह की दृष्टि से नही देखे। स्नेह  जीवन का आधार है यह  जीने  को सार्थक और आनंददायक बनाता है। यदि कोई घटना, कोई बात, कोई परिस्थिति अप्रिय लगे तो उस चतुराई के साथ एक ख़ूबसूरत मोड़  दे दे।
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(19) मजाक करने और मजाक बनाने में अंतर है।
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(20) अपनी स्थिति पर संतोष करो, दूसरो के उत्कर्ष को देखकर मुदित होओ, दूसरों को दुखी देखकर मन मे करुणा का भाव लाओ, जो आपके प्रति विरोधी भाव रखते है, आप उनके प्रति उपेक्षा का भाव रखो।
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(21) कुछ व्यक्तियों को हमेशा के लिये मूर्ख बनाया जा सकता है परन्तु सब व्यक्तियों को हमेशा के लिए मूर्ख नही बनाया जा सकता है। इसलिए झूठ या कुतर्क सहारा मत लो। यह आपके व्यक्तित्व की कमजोरी माना जाएगा।
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(22) सर्वश्रेष्ठ विचार की प्रतीक्षा मत करो, श्रेष्ठ विचार पर अमल करो, इससे श्रेष्ठ और सर्वश्रेष्ठ स्वयं पीछे आयेंगे।
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(23) जीवन के मार्ग में जो भी खुशिया मिले उनसे खुश रहिये। ये छोटी छोटी खुशियां ही एक दिन बड़ी ख़ुशी बन जायेंगी।
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(24) आशा, उमंग , उत्साह और उल्लास से भरा हुआ जीवन जीओ। इन भावनाओं की झलक आपके चेहरे, कार्य, व्यवहार व् आचरण पर भी दिखनी चाहिए।
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(25) संकट के समय धैर्य और साहस से काम लें , पुरुषार्थ की बात सोचें  और कठिनायों  से  लड़ने  और उन्हें  परास्त  करने  का  चाव  रखें। ऐसे समय पर ईश्वर पर विश्वास  रखें। .
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