Thursday 8 October 2015

(2.3.2) Lal Bahadur ki Sanvedansheelata

 लाल बहादुर की संवेदन शीलता  

जब लाल बहादुर 6 वर्ष के थे तब एक दिन वे लड़कों  के एक समूह के साथ केवल शरारत की नीयत से एक उद्यान में प्रवेश किया। जब उनके साथी पेड़ों पर चढ़ गए और फल तोड़ने लगे,तब लाल बहादुर ने विचार पूर्ण भाव के साथ चारों तरफ देखा व पास की झाड़ी से एक फूल तोडा। तभी उन लडको में से एक लडके ने माली को आते हुए देख कर खतरे की चेतावनी दी,और तुरंत ही लाल बहादुर के अलावा  सभी लडके गायब हो गए। माली ने लाल बहादुर को पकड़ लिया और पिटाई कर दी।
लाल बहादुर ने कहा,"मैं एक गरीब और बिना पिता का लड़का हूँ , आप मुझे मत पीटो।"
माली मुस्कराया और उत्तर में बोला,"मेरे बच्चे,तब तो इस कारण से तुम्हे और भी अधिक अच्छा  व्यवहार करना चाहिए।"फिर उन्होंने (लाल बहादुर ने ) शपथ ली कि वे अन्य लड़कों की अपेक्षा अधिक अच्छा व्यवहार करेंगे और अपने आप से कहा कि  उन्हें ऐसा इसलिए करना होगा क्योंकि उनके पिता जीवित नहीं हैं।
लाल बहादुर के प्रारम्भिक जीवन की यह घटना,उनकी अतिशय संवेदन शीलता को प्रकट करती है।