Wednesday 7 October 2015

(1.1.7) Kartvya / Duty is more important

 कर्तव्य ज्यादा महत्व पूर्ण है 

किसी एक गांव में एक धनवान भेड़ पालक रहता था।एक बार उसने दो लडकों को भेड़ें चराने के लिए रख लिया। उसने भेड़ों को दो समूह में विभाजित कर लिया और प्रत्येक को एक एक झुण्ड चराने के लिए दे दिया .कुछ दिन बाद उसने देखा कि दोनों ही समूह में कुछ भेड़ें मर गई हैं और कुछ अन्य दुबली हो गई हैं।भेड मालिक ने दोनों ही लडकों को दोषी पाया।
पता लगा की दोनों ही लडकें प्रतिदिन सुबह भेड़ों को अपने साथ ले जाते थे लेकिन उन्हें (भेड़ों को ) केवल इधर उधर भटकने देते थे और वे अपने व्यसन जिसके वे आदी थे, में लग जाते थे।उन में से एक को गपशप करने की आदत थी। इसलिये वह दूसरे लड़कों के साथ बैठ जाता था  और गपशप  लगाता रहता था।भेड़े आस पास के क्षेत्र में इधर उधर घूमती रहती थी चाहे वहां चरने के लिए पर्याप्त चारा हो या नहीं हो।यही बात भेड़ो के दूसरे समूह के साथ भी होती थी।दूसरे समूह को चराने वाला लड़का अपना समय पूजा पाठ और धार्मिक कार्य करने में लगाता था और भेड़ों की तरफ ध्यान नहीं देता था।
 भेड़ पालक ने उन दोनों के विरूद्ध शिकायत दर्ज कराई।दोनों को गाँव के न्यायाधीश के कोर्ट में उपस्थित किया गया।यद्यपि  दोनों के ही कार्यों (व्यसन )में गुणवत्ता का बहुत अधिक अंतर था तो भी दोनों को ही उनके सौंपे गये कर्तव्य की अवहेलना का दोषी पाये जाने पर समान सजा दी गई।
न्यायाधीश ने निर्णय देते हुए कहा,"कर्तव्य भाव के बिना जो कुछ भी किया जाता है वह व्यसन ही है,चाहे वह व्यसन गप्पे लगाने  का हो चाहे पूजा पाठ करने का हो। दोनों ही व्यसन सामान रूप से सजा योग्य हैं क्योंकि प्रत्येक में कर्तव्य पालन की पूर्ण रूप से उपेक्षा हुई है।   
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