Wednesday 12 July 2023

(7.1.20)अधिक मास में कौनसे कार्य नहीं करने चाहिए Adhik Maas Me Kya Nahin Karen

 

अधिक मास में कौनसे कार्य नहीं करने चाहिए Adhik Maas Me Kya Nahin Karen

अधिक मास में क्या नहीं करें

सनातन पंचांग के अनुसार जब किसी वर्ष में अधिक मास होता है तो उस वर्ष में  बारह माह के स्थान पर तेरह महीनें हो जाते हैं. यह तेरहवाँ महीना ही अधिक मास कहलाता है. इस अधिक मास को मल मास, अधि मास, पुरुषोत्तम मास आदि के नाम से भी जाना जाता है. अधिक मास प्रति तीसरे वर्ष आता है.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कुछ कार्य ऐसे हैं जो अधिक मास के दौरान नहीं किये जाते हैं. अधिक मास में फल प्राप्ति की कामना से कोई भी कार्य करना वर्जित है. इसके अतिरिक्त अन्य कार्य जिनको अधिक मास में नहीं किया जाना चाहिए वे इस प्रकार हैं –

किसी भी उद्देश्य के लिए भवन का निर्माण करना.

गृह प्रवेश करना.

सगाई अथवा विवाह करना.

वाहन क्रय करना.

कुआ, जलाशय आदि खुदवाना,

मुंडन संस्कार करना.

किसी भी व्रत का आरम्भ और उद्यापन करना.

नव विवाहिता वधु का प्रवेश.

देव प्रतिमा की स्थापना करना.

यज्ञोपवीत संस्कार.

मन्त्र दीक्षा लेना.

कर्ण वेध.

आदि कार्य नहीं करने चाहिए.

लेकिन जो कार्य पहले शुरू किये जा चुके हैं, उन कार्यों को जारी रखा जा सकता है. नित्य एवं नैमित्तिक कर्म किये जा सकते हैं. 

इसके अतिरिक्त रोग आदि की निवृत्ति के लिए महामृत्युन्जय मन्त्र व रूद्रजपादि अनुष्ठान, अनावृष्टि के समय वर्षा करने के लिए पुरुश्चरण,  ग्रहण सम्बन्धी श्राद्ध, दान, जप आदि, पितृ श्राद्ध, संतान जन्म के कृत्य जैसे पुंसवन, जातकर्म, नाम कर्म, सीमन्त आदि कार्य किये जा सकते हैं.