Wednesday 12 July 2023

(7.1.22) Adhik Maas Ka Mahatva /Importance of Adhik Maas, Purushottam Maas

 अधिक मास का महत्व ? Importance Of Adhik Maas / Purushottam Maas

अधिक मास का महत्त्व

अधिक मास में सभी शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं. प्राचीन समय से ही काल गणना में अधिक मास का तिरस्कार किया जाने लगा. इस मास में शुभ कार्यों के वर्जित होने से इसे मल मास कहा जाने लगा इसके कारण यह यानि अधिक मास बहुत उदास हो गया.

एक बार अधिक मास ग्लानि से भरकर भगवान् विष्णु के पास गया और बोला, “ भगवान् , मैं अधिक मास हूँ, इस में मेरा क्या दोष है ? मुझे मल मास कहकर तिरस्कृत किया जाता है. इसके अतिरिक्त नक्षत्र, तिथि, वार और मास सभी का कोई न कोई स्वामी है परन्तु मेरा कोई स्वामी नहीं है. इससे मैं बहुत उदास और दुखी हूँ. मैं आप की शरण में आया हूँ.

मल मास को उदास देख कर भगवान् विष्णु ने कहा, “ हे अधिक मास,  मैं तुमारी पीड़ा समझता हूँ. आज से मैं तुम्हें मेरा नाम देता हूँ. अब से तुम पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे और मैं ही तुम्हारा अधिष्ठाता होऊंगा. मैं तुम्हे वरदान देता हूँ कि जो भी इस अधिक मास में कीर्तन, भजन, पूजन, दान, पुण्य किया जायेगा, वह अमोघ फलदायी होगा.

श्री हरि विष्णु ने आगे कहा कि तुम्हारे इस मास में जो भी प्राणी पुरुषसूक्त का पाठ, वेद मन्त्रों और भागवत महापुराण का पाठ या श्रवण करेगा, उसे उत्तम गति प्राप्त होगी. यह सुनकर अधिक मास संतुष्ट और प्रसन्न हुआ. तब से ही इस अधिक मास को पुरुषोत्तम मास कहा जाने लगा और इसका महत्व दूसरे सभी महीनों से अधिक हो गया. इसलिए लोग इस माह में धार्मिक पुस्तकें पढ़ते हैं, व्रत उपवास करते हैं, जप, तप, हवन आदि करते है और दान देते हैं.