Thursday 17 August 2023

(6.4.18) सुन्दरकाण्ड का महत्व, लाभ और पाठ करने की विधि Sundarkand ke Laabh, Benefits of Sundarkand

 सुन्दरकाण्ड का महत्व, लाभ और पाठ करने की विधि Sundarkand ke Laabh, Benefits of Sundarkand

सुन्दरकाण्ड के लाभ और महत्व

सुन्दरकाण्ड का महत्व –

सुन्दरकाण्ड, गोस्वामी तुलसीदासकृत रामचरित मानस का पाँचवा अध्याय या सोपान है. सम्पूर्ण रामचरितमानस में भगवान् श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाया गया है, लेकिन सुन्दरकाण्ड एक मात्र ऐसा अध्याय है, जिसमें हनुमानजी द्वारा किये गये महान कार्यों, उनकी शक्ति और विजय का वर्णन है जिसे पढ़ना और सुनना बहुत आनन्द दायक है. इस अध्याय का मुख्य घटना क्रम है – हनुमानजी का लंका के लिए प्रस्थान करना, विभीषण से भेंट, सीताजी से भेंट करना और उन्हें श्रीराम की मुद्रिका देना, लंका दहन और लंका से वापस प्रस्थान.

सुन्दर काण्ड का पाठ करने के लाभ –

श्रद्धा और विश्वास के साथ सुन्दरकाण्ड का पाठ करने से मानसिक शान्ति मिलती है.

सकारात्मक और रचनात्मक सोच विकसित होती है.

नकारात्मक और बुरे विचार दूर होते हैं.

घर में सुख शान्ति रहती है, धन – वैभव का आगमन होता है और सकारात्मक वातावरण का सृजन होता है.

हनुमान जी का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होते हैं जिससे मन में उत्साह बना रहता है,

मन और बुद्धि रचनात्मक कार्यों में लगी रहती है.

नकारात्मक शक्तियों का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है.

जन्मपत्रिका में शनि या मंगल की अशुभ स्थिति का दुष्प्रभाव निष्प्रभावी हो जाता है.

जिस भवन में सुन्दरकाण्ड का पाठ होता है, वहाँ नकारात्मक शक्तियाँ नहीं रहती है.

विद्यार्थियों के मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे उनका ध्यान केन्द्रित होता है और अध्ययन में मन लगता है. परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त होते हैं.

सुन्दरकाण्ड का पाठ करने की विधि –

सुन्दरकाण्ड का पाठ किसी मंगलवार या शनिवार को किया जा सकता है. यदि किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसका पाठ इकतालीस दिन तक प्रतिदिन करना चाहिये.

पाठ शुरू करने से पहले घर में पूर्व या उत्तर की तरफ लकड़ी की एक चौकी या पाटा रख दें. इस पाटे पर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें. इस पाटे पर राम दरबार और हनुमानजी का चित्र रख दें और इन चित्रों के तिलक करके माला पहना दें. पास में ही धूप बत्ती और दीपक जला दें. उत्तर या पूर्व की तरफ मुँह करके कुशा या ऊन के आसन पर बैठ जाएँ. फिर मन ही मन भगवान् राम और हनुमान जी का स्मरण करें. इसके बाद सुन्दर काण्ड का पाठ शुरू करें. पाठ समाप्ति के पश्चात् हनुमान जी की आरती करें. यदि किसी विशेष उद्देश्य के लिए पाठ किया जाए तो आरती के बाद उस उद्देश्य पूर्ति के लिए मन ही मन हनुमानजी से प्रार्थना करें और मन में विश्वास करें कि हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद से आपका कार्य पूर्ण होगा.