Monday 14 August 2023

(8.3.1) स्वाधीनता दिवस पर भाषण / स्वतन्त्रता दिवस पर भाषण (Speech on Independence Day)

 स्वाधीनता दिवस पर भाषण / स्वतन्त्रता दिवस पर भाषण (Speech on Independence Day)

स्वाधीनता दिवस पर भाषण / स्वतन्त्रता दिवस पर भाषण

सम्माननीय मंचासीन अथिति गण एवं समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए उपस्थित महानुभाव.

स्वाधीनता दिवस के आयोजन के शुभ अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामना.

15 अगस्त का यह पावन दिन देश भक्तों के त्याग, तपस्या और बलिदान की अमर कहानी समेटे हुए है.

लहराता हुआ तिरंगा ध्वज हर भारतीय के रोम – रोम में एक नए उत्साह का संचार करते हुए उनके ह्रदय में राष्ट्रीय भावना को प्रज्वलित कर रहा है.

यह वो दिन है जब भारत के महान स्वतंत्रता सैनानियों द्वारा वर्षों के कड़े संघर्ष के बाद अंग्रजों के शासन से हमें आजादी मिली. हम उन वीरों के संघर्ष और बलिदान को भुला नहीं सकते.

हमारे लिए यह दिन उन सभी महान वीरों और सपूतों के बलिदानों को याद करने, उनके प्रति सम्मान प्रकट करने और उनके कायों और आदर्शों से प्रेरणा  लेने का दिन है, जिन्होंने भारत की स्वतन्त्रता के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था.   

व्यापार के उद्देश्य से अंग्रेज भारत में आये थे, लेकिन धीरे – धीरे उन्होंने यहाँ के राजाओं, बादशाहों और सामंतों पर अपनी कूटनीतिक चालबाजियों से अपना अधिकार कर लिया और भारत को गुलामी की बेड़ियों में जकड़ लिया.

गुलामी की बेड़ियों से मुक्त होने की तडपन प्रत्येक देश भक्त के मन में थी. इसी भावना से ओतप्रोत होकर मंगल पाण्डेय ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए पहली आग 1857 में कोलकता के पास बैरकपुर में जलाई थी, परन्तु संचार के साधनों के अभाव के कारण यह आग ज्वाला नहीं बन सकी लेकिन आग की यह चिंगारी कभी बुझी नहीं. सभी देश भक्तों और स्वतन्त्रता सेनानियों ने अपने अपने ढंग से स्वाधीनता के लिए संघर्ष जारी रखा, जिसके परिणाम स्वरूप अंग्रेजों को पीछे हटना पड़ा, और 15 अगस्त, 1947 को भारत अंग्रेजों की दासता से मुक्त हुआ. 

साथियों, यह स्वन्त्रता की ही शक्ति का परिणाम है कि स्वतन्त्र देश का कोई भी योग्य नागरिक अपनी योग्यता के अनुरूप किसी भी उच्च पद पर पदासीन हो सकता है . स्वतन्त्रता के परिवेश में ही व्यक्ति अपनी अनंत सम्भावना को तलाश सकता है, अपनी योग्यता का श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकता है और राष्ट्र के विकास में भागीदार बन सकता है . अतः चाहे हम किसी भी क्षेत्र में कार्य करते हो, हम सभी का दायित्व है कि हम अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन करें. 

शिक्षक सामाजिक अभियंता है. वह देश के भावी नागरिको का निर्माण करता है. श्रेष्ट नागरिको का निर्माण करके वह देश की सेवा करता है.

ऐसे ही डॉक्टर , इंजिनीयर , राजनेता , पुलिसकर्मी , व्यापारी , वैज्ञानिक  आदि अपने अपने क्षेत्र में देश की आवश्यकता के अनुरूप उत्कृष्ट कार्य करके देश के विकास में योगदान कर सकते हैं और अपने स्वतंत्र होने पर गर्व कर सकते है. ऐसा करके ही हम स्वतन्त्रता सेनानियों के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट कर सकते हैं.

धन्यवाद . जय भारत.