Tuesday 22 August 2023

(6.6.3) गोपाल सहस्त्रनाम, पाठ करने की विधि, गोपाल सहस्त्रनाम के लाभ Gopal Sahastranaam benefits

 गोपाल सहस्त्रनाम, पाठ करने की विधि, गोपाल सहस्त्रनाम के लाभ Gopal Sahastranaam benefits

गोपाल सहस्त्रनामस्तोत्र, इसका पाठ करने की विधि और लाभ

आनन्दकन्दब्रह्माण्ड नायक लीला पुरुषोत्तम भगवान् श्री कृष्णचन्द्र के अनेक स्वरूप हैं. वे मदनमोहन, श्यामसुन्दर, व्रजेन्द्रनन्दन, गोपीवल्लभ, राधावल्लभ, राधारमण, गोपाल आदि विभिन्न स्वरूपों में भक्तों के ह्रदय में विराजते हैं.गोचारण और गोपालन उनकी बाल लीला का मुख्य अंग है. इसलिये भक्त उन्हें ‘गोपाल’ के नाम से भी पुकारते हैं. भगवान् श्री कृष्ण के ‘गोपाल’ नाम को लेकर ही उनके एक हजार नाम से स्तुति की गयी है. इसी स्तुति को गोपाल सहस्त्रनाम के रूप में जाना जाता है.

गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करने के लाभ –

गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्र कल्याण करने वाला और महारोगों का निवारण करने वाला है इसलिए इस स्तोत्र अर्थात गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करने या सुनने से भगवान् कृष्ण का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होते हैं.

इच्छित फल की प्राप्ति होती है.

आर्थिक समस्या नहीं आती है.

रोगों से छुटकारा मिलता है.

परिवार में सुख - शान्ति का वातावरण बना रहता है.

कारागर से मुक्ति मिलती है.

सुसंतान की प्राप्ति होती है.

गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करने की विधि –

अपने घर के किसी शांत स्थान पर उत्तर या पूर्व की तरफ बैठ जाएँ. अपने सामने भगवान् कृष्ण के गोपाल स्वरुप का चित्र यानि ऐसा चित्र जिसमें भगवान् कृष्ण के साथ गाय का चित्र भी हो, अपने सामने रखें. फिर विनियोग और ध्यान करें. 

विनियोग इस प्रकार है –

गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्र मन्त्र के ऋषि नारद जी हैं, छंद अनुष्टुप है, श्री गोपाल जी इसके देवता हैं, काम इसका बीज है, माया इसकी शक्ति है तथा चन्द्र इसका कीलक है. भगवान् श्री कृष्ण के भक्तिरूपी फल की प्राप्ति के लिए श्री गोपाल सहस्त्रनाम के जप में इसका विनियोग किया जाता है.

ध्यान इस प्रकार है –

जिनके मस्तक पर कस्तूरी का तिलक है, वक्षःस्थल में कौस्तुभ मणि है, नासिकाग्र में अति सुन्दर मोती का आभूषण है, करतल में बंशी है, हाथों में कंकण हैं, सम्पूर्ण शरीर पर हरि चन्दन का लेप है और कन्ठ में मनोहर मोतियों की माला है, व्रजांगनाओं से घिरे हुए ऐसे गोपालचूड़ामणि की बलिहारी है.

प्रफुल्ल नीलकमल के समान जिनकी श्याम मनोहर कान्ति है, मुख मण्डल की चारुता चन्द्रबिम्ब को भी विलज्जित करती है, मोरपंख का मुकुट जिन्हें अधिक प्रिय है, जिनका वक्ष स्वर्णमयी श्रीवत्सरेखा से समलंकृत है, जो अत्यन्त तेजस्वनी कौस्तुभमणि धारण करते हैं और रेशमी पीताम्बर पहने हुए हैं, गोपसुन्दरियों के नयनारविन्द जिनके श्रीअगों की सतत अर्चना करते हैं, गायों तथा गोपकिशोरों के संघ जिन्हें घेर कर खड़े हैं तथा जो दिव्य अंगभूषा से विभूषित हो मधुरातिमधुर वेणु वादन में संग्लन हैं, उन परम सुन्दर गोविन्द का मैं भजन करता हूँ.

ध्यान के बाद गोपाल सहस्त्रनामावली का एक, दो या तीन बार पाठ करना चाहिए.