Sunday 2 October 2016

(2.1.14) Who is happy ? /Prasann Vyakti kee Visheshata

Who is a happy person ? Prasanna Vyakti ki Visheshata / प्रसन्न व्यक्ति तथा प्रसन्न जीवन की विशेषता 

Prasann Vyakti / Happy person / प्रसन्न व्यक्ति 
एक प्रसन्न व्यक्ति दूसरों पर आश्रित नहीं रहता है और न ही वह दूसरों की इच्छा के अनुसार कार्य करता है।
उसकी ईमानदारी ही उसका रक्षा कवच है और उसकी सहज सत्यता ही उसकी सर्वोत्तम योग्यता और मार्गदर्शक है।
वह अपनी भावनाओं का स्वामी होता है तथा स्नेह , घृणा , क्रोध एवं ईर्ष्या जैसी भावनाओं पर नियंत्रण रखता है। 
वह मृत्यु से भयभीत नहीं होता है। उसे न तो राजा के अनुग्रह की परवाह है और न ही सामान्य व्यक्तियों  की आलोचना की।
प्रसन्न व्यक्ति अपने मष्तिस्क को संतुलित रखता है। वह दूसरे व्यक्तियों की प्रगति से ईर्ष्या नहीं करता है न ही वह दूसरों के पतन या अवनति से प्रसन्न होता है। 
न तो उसकी उन्नति उसे घमंडी बनाती है और न ही उसे अपनी अवनति पर पश्चाताप होता है।
वह अफवाओं , चापलूसों और दुश्मनों से अप्रभावित रहता है। वह निर्मल और उदार होता है।
वह भलाई और दयालुता के नियमों के पालन में विश्वास करता है।
प्रसन्न व्यक्ति ईश्वर से प्रेम करता है और उसकी दिव्य कृपा पाने के लिए प्रार्थना करता है न कि किसी स्वार्थ सिद्धि या किसी सांसारिक उपलब्धि पाने  के लिए।
वह निर्दोष कार्यों में, अच्छे मित्रों के साथ तथा अच्छी पुस्तकें पढ़ने में अपना समय बिताता है।
प्रसन्न व्यक्ति जीवन में उत्थान या पतन की परवाह  नहीं करता है। सफलता उसे प्रसन्न नहीं कर सकती है और न ही असफलता उसे हतोत्साहित कर सकती है। 
उसका अपनी भावनाओं और इच्छाओं पर नियंत्रण होता है इस लिए वह पूरी तरह संतुष्ट होता है।
ऐसा सुखी व्यक्ति सांसारिक सम्पत्ति  के मामलें में गरीब हो सकता है परन्तु वह सही रूप में इस संसार का स्वामी होता है।