Sunday 2 October 2016

(2.1.15) For a happy life accept it/ प्रसन्न जीवन के लिए अपरिहार्य को स्वीकार करें

Prasann Jeevan ke liye Aparihaary ko sweekaar karen / प्रसन्न जीवन के लिए अपरिहार्य को स्वीकार करें 

(For English translation CLICK HERE) 
इस विशाल संसार में प्रतिक्षण घटनाएँ घटित होती रहती  हैं। उन में से कुछ हमारे अनुकूल होती हैं और कुछ प्रतिकूल होती हैं।  हम चाहते हैं कि कोई भी घटना हमारे प्रतिकूल घटित नहीं हो। लेकिन यह संभव नहीं है। जीवन के मार्ग में उतार - चढाव तो आयेंगे  ही। कभी कभी तो हम उन प्रतिकूल घटनाओं की भी कल्पना करने लगते हैं जो अभी घटित ही नहीं हुई  हैं तथा  संभव है भविष्य  में भी घटित नहीं हो और  वे आपके मन पर केवल भार बन कर रह रही हैं। अत: उन परिस्थितियों या घटनाओं की जो आप के बस में नहीं है, के विषय में चिंतित होने का कोई लाभ नहीं है बल्कि जो बातें  आप के अनुकूल हैं उन का भी आनंद समाप्त हो जायेगा। इसलिए जो हो रहा है उसे होने दो। जिन बातों को आप अपनी सम्पूर्ण शक्ति के बावजूद बदल नहीं सकते और जो आपके बस में नहीं है, उनके विषय में चिंतित होने से कोई लाभ  नहीं है। जो होने वाला है उसे निश्चिन्त होकर सहन करो और ईश्वरीय इच्छा मान कर स्वीकार करो। हमारी भलाई बुराई  को हमारे बजाय ईश्वर ज्यादा अच्छी तरह समझते हैं। इस सम्बन्ध में Dr. Reinhold Neibuhr द्वारा  लिखित प्रार्थना की गहनता पर बार - बार मनन करो -    
ईश्वर , मुझे ,मन की शांति दीजिये ,
जिन बातों ( घटनाओं ) को मैं बदल नहीं सकूँ , 
उन्हें सहन करने की शक्ति दीजिये; 
जिन बातों ( घटनाओं ) को मैं बदल सकूँ , 
उन्हें बदलने का साहस दीजिये; 
साथ ही मुझे इन के बीच अंतर कर सकने की बुद्धि दीजिये।
अत: जो अपरिहार्य है,जो अनिवारणीय है, जिसे टाला नहीं जा सके , उसको मनोयोग पूर्वक सहन और स्वीकार करो।