Thursday 13 October 2016

(5.2.1) Swaroday/ Shiv Swaroday / Swar Vigyan

Swaroday / Shiv Swaroday / शिव स्वरोदय / स्वरोदय / चन्द्र स्वर / सूर्य स्वर  

स्वर विज्ञानं / स्वरोदय के बारे में मुख्य बातें ( Important Things about Swaroday the science of Breathing )
What is Sarvoday / Swar Vigyan(स्वर विज्ञान क्या है )
 मानव सभ्यता के साथ साथ ज्ञान विज्ञान की अनेक शाखाओं का भी जन्म हुआ। स्वरोदय विज्ञान भी इन्ही में से एक है। स्वरोदय विज्ञान का सम्बन्ध श्वास -प्रश्वास से है। स्वर तीन प्रकार के होते हैं - सूर्य स्वर , चन्द्र स्वर और सुषुम्ना स्वर।   
What is Surya Swar (सूर्य स्वर क्या होता है) 
नासिका - नाक के दक्षिण (दाहिने) छिद्र से चलने वाले स्वर को पिंगला अथवा सूर्य स्वर कहा जाता है। इसे शिव का प्रतीक माना जाता है। 
What is Chandra Swar(चन्द्र स्वर क्या होता है )
वाम नासिका छिद्र (नाक के बाएँ छिद्र) से श्वास आगमन को इड़ा अथवा चन्द्र स्वर चलना कहा जाता है।इसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
What is Sushumna Swar (सुषुम्ना स्वर क्या होता है) 
दोनों नासा छिद्र से श्वास चलने को सुषुम्ना  स्वर की संज्ञा दी जाती है।
कब कौनसा स्वर चल रहा होता है 
किस समय कौनसे स्वर संज्ञा से श्वास प्रक्रिया हो  रही है,इस हेतु एक नासा छिद्र को दबा कर दूसरे नासा छिद्र से श्वास बाहर निकालने का अभ्यास करने से यह सहज ही विदित होगा कि कौन स्वर संज्ञा से श्वास प्रक्रिया हो रही  है। 
स्वर तथा यात्रा - Swar and journey 
(१) स्वरोदय विज्ञान के मतानुसार पूर्व तथा उत्तर दिशा में चन्द्र तथा पश्चिम तथा दक्षिण दिशा में सूर्य रहता है।अतः दाहिना स्वर चलने पर पश्चिम तथा दक्षिण दिशा में गमन नहीं करना चाहिए। बायां (चन्द्र स्वर )चलने पर पूर्व तथा उत्तर दिशा की ओर गमन नहीं करना चाहिए। 
(२) जब चन्द्र स्वर चले तो बायाँ पैर और  सूर्य स्वर चले तो दाहिना पैर आगे बढ़ाना चाहिये अर्थात जिस तरफ का स्वर चल रहा हो उसी तरफ का पैर पहले आगे बढाना  चाहिये। 
(What to do when Chandra Swar is on)चन्द्र स्वर और कार्य 
(१) चन्द्र स्वर के चलते समय किये गए कार्य का शुभारम्भ यश ,विजय तथा कीर्ति प्राप्ति का सूचक है। 
(२) जब चन्द्र स्वर चल रहा हो तो उस समय गृह प्रवेश ,शिक्षा ,विद्या ,कला का शुभारम्भ ,धार्मिक अनुष्ठान ,लेन - देन ,नवीन वस्त्र धारण ,जमीन जायदाद खरीदना ,व्यापार एवं सेवा कार्य ,विविध मांगलिक कार्य ,संपर्क ,मित्रता ,संधि ,कृषि ,स्वागत ,तिलक ,योगाभ्यास आदि सोम्य कार्य करना श्रेष्ठ व शुभ माना जाता है। 
What to do when Surya Swar is on (सूर्य स्वर और कार्य)
जब सूर्य स्वर चल रहा हो तो श्रम साध्य कठिन कार्य ,पशु क्रय-विक्रय ,तंत्र-मन्त्र साधना,औषध सेवन ,चिकित्सा कार्य करना चाहिए। 
What to do when Sushumna Swar is on (सुषुम्ना स्वर तथा कार्य ) -
जब सूर्य- चन्द्र अर्थात पिंगला - इडा दोनों  स्वर चल रहे हो, उस सुषुम्ना नाड़ी काल में सभी कार्य वर्जित रखने चाहिए। इस काल में योगाभ्यास ,स्व ईष्ट देव की आराधना ,पूजा आदि कार्य करना शुभ रहता है। 
Question and Swar (प्रश्न और स्वर)
(1) प्रश्न शास्त्र के अनुसार- यदि कोई व्यक्ति प्रश्न पूछे और उस समय श्वास अंदर जा रहा हो तो यह कार्य सिद्धि का बोधक है। और जब श्वास बाहर निकल रहा हो, उस समय प्रश्न पूछे तो यह  असिद्धि का बोधक है। 
(2) यदि बायां (चन्द्र स्वर )चलते समय प्रश्न पूछे, तो यह कार्य सिद्धि का सूचक है। और दाहिना स्वर (सूर्य स्वर )चलते समय प्रश्न पूछे, तो कार्य सिद्धि में संदेह की सम्भावना रहती है। 
(3) पुत्र या कन्या के जन्म संबधी प्रश्न हो तो ऐसे प्रश्न के समय देवज्ञ का सूर्य  स्वर चल रहा हो और सूर्य स्वर की तरफ ही बैठ कर प्रश्न कर्ता  प्रश्न पूछ रहा हो तो पुत्र होगा ऐसा समझे। यदि देवज्ञ का चन्द्र स्वर चल रहा हो तथा  प्रश्न कर्ता चन्द्र स्वर क़ी ओर बैठ कर प्रश्न करे तो पुत्री होगी, ऐसा समझे। यदि सुषुम्ना नाड़ी चल रही हो तो अभी सन्तान का कोई योग नहीं है, ऐसा समझे।