Nirjala Ekadashi ? Nirjala Ekadashi Vrat / Nirjala Ekadashi Vrat Katha निर्जला एकादशी / निर्जला एकादशी व्रत / निर्जला एकादशी व्रत की कथा तथा महत्व
When is Nirjala Ekadashi ? निर्जला एकादशी कब है ?
यह व्रत जेष्ठ शुक्ल एकादशी को किया जाता है। इस एकादशी का नाम निर्जला है।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व -
निर्जला एकादशी के व्रत करने से आयु और आरोग्य वृद्धि के तत्व विशेष रूप से विकसित होते है। व्यास जी के कथनानुसार 'यह सत्य है कि अधिक मास सहित एक वर्ष की पचीस एकादशी का व्रत नहीं किया जा सके तो केवल निर्जला एकादशी का व्रत करने से ही पूरा फल प्राप्त हो जाता है।'
यह व्रत जेष्ठ शुक्ल एकादशी को किया जाता है। इस एकादशी का नाम निर्जला है।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व -
निर्जला एकादशी के व्रत करने से आयु और आरोग्य वृद्धि के तत्व विशेष रूप से विकसित होते है। व्यास जी के कथनानुसार 'यह सत्य है कि अधिक मास सहित एक वर्ष की पचीस एकादशी का व्रत नहीं किया जा सके तो केवल निर्जला एकादशी का व्रत करने से ही पूरा फल प्राप्त हो जाता है।'
निर्जला एकादशी का व्रत करने वाले पुरुष या महिला को बूंदमात्र जल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।यदि किसी प्रकार उपयोग में लिया जाए तो, उससे व्रत भंग हो जाता है । दृढ़तापूर्वक नियम पालन करने के साथ निर्जला एकादशी को उपवास करके द्वादसी को स्नानादि से निवृत होकर सामर्थ्यानुसार मुद्रा आदि तथा जलयुक्त कलश दान देकर भोजन करे तो सम्पूर्ण तीर्थों में जाकर स्नान, दानादि करने के सामान फल प्राप्त हो जाता है।
निर्जला एकादशी से जुड़ी कथा -
एक बार बहुभोजी भीमसेन ने व्यास जी के मुख से प्रत्येक एकादशी को निराहार रहने का नियम सुनकर विनम्रभाव से निवेदन किया कि 'महाराज, मुझसे कोई व्रत नहीं किया जाता है। दिनभर बड़ी क्षुधा बनी रहती है। अत: आप कोई ऐसा उपाय बतला दीजिये जिसके प्रभाव से स्वत: सद्गति हो जाये।' तब व्यास जी ने कहा 'तुमसे वर्षभर की सम्पूर्ण एकादशी का व्रत नहीं हो तो केवल निर्जला एकादशी का व्रत कर लो, इसी से साल भर की एकादशी का व्रत करने के समान फल हो जायेगा। ' इसके बाद भीम ने वैसा ही किया और स्वर्ग को गए।
एक बार बहुभोजी भीमसेन ने व्यास जी के मुख से प्रत्येक एकादशी को निराहार रहने का नियम सुनकर विनम्रभाव से निवेदन किया कि 'महाराज, मुझसे कोई व्रत नहीं किया जाता है। दिनभर बड़ी क्षुधा बनी रहती है। अत: आप कोई ऐसा उपाय बतला दीजिये जिसके प्रभाव से स्वत: सद्गति हो जाये।' तब व्यास जी ने कहा 'तुमसे वर्षभर की सम्पूर्ण एकादशी का व्रत नहीं हो तो केवल निर्जला एकादशी का व्रत कर लो, इसी से साल भर की एकादशी का व्रत करने के समान फल हो जायेगा। ' इसके बाद भीम ने वैसा ही किया और स्वर्ग को गए।
Related Posts -
===
===
===