Hindu Marriage / Types of Hinu Marriage / Aims of Hindu Marriage / हिन्दू विवाह / हिन्दू विवाह के उद्देश्य / हिन्दू विवाह के प्रकार
हिन्दू विवाह क्या है ? What Hindu Marriage ?हिंदुओं में विवाह को सोलह संस्कारों में से एक संस्कार के रूप में स्वीकार किया गया है। हिन्दू विवाह को इस प्रकार परिभाषित किया गया है -
"हिन्दू विवाह एक संस्कार है , धार्मिक कृत्य है, जिसमें स्त्री - पुरुष के समन्वय से जन्म - जन्मान्तर का मिलन ,धर्माचरण का प्रजनन और सर्वतोमुखी उन्नति का रहस्य छिपा है।"
हिन्दू विवाह के उद्देश्य - (objects of Hindu Marriage)१. धार्मिक कार्यों की पूर्ति
२. पुत्र प्राप्ति
३. रति आनंद
४. व्यक्तित्व का विकास
५. परिवार के प्रति दायित्वों का निर्वाह
६. समाज के प्रति दायित्वों का निर्वाह
हिन्दू विवाह की प्रकृति और विशेषताएं जो इसे धार्मिक संस्कार बनातें हैं - ( characteristics of Hindu Marriage)१. विवाह का आधार धार्मिक है।
२. धार्मिक दृष्टि से विवाह विच्छेद की स्वीकार्यता कम है।
३. विवाह का महत्वपूर्ण उद्देश्य ऋणों से मुक्ति है।
४. पतिव्रत का आदर्श।
५. स्त्री के लिए एकमात्र संस्कार।
६. पत्नी के लिए "धर्म - पत्नी" तथा "सह-धर्मचारिणी" जैसे सम्बोधन।
७. धार्मिक अनुष्ठान और विधि विधान।
८. ब्राह्मणों की उपस्थिति में विवाह।
९. वेद मन्त्रों का उच्चारण।
१०. पवित्र अग्नि की साक्षी।
११. कन्यादान का आदर्श।
१२. धार्मिक आदेशों एवं निषेधों का महत्व।
स्मृति शास्त्रों में हिंदु विवाह के आठ प्रकार अथवा स्वरुप माने गये हैं -(types of Hindu Marrage) ब्राह्मो देवास्तथैवार्षः प्रजापत्यस्तथासुरः।
गान्धर्वॊ राक्षस श्चव पैशाचश्चाष्टमोघम।। (मनु 3/21)
१. ब्रह्म विवाह - इसमें वेदों के ज्ञाता विद्वान, शीलवान वर को घर बुलाकर वस्त्र-आभूषण से सुसज्जित कन्या का दान किया जाता है। वर्तमान में इसी प्रकार का विवाह प्रचलित है।
२. देव विवाह - इसमें यज्ञ करने वाले पुरोहित को यजमान (जजमान ) अपनी कन्या का दान करता है।
३. आर्ष विवाह - इसमें पिता गाय और बैल का एक जोड़ा लेकर विधि पूर्वक अपनी कन्या का दान करता है।
४. प्रजापत्य विवाह - इसमें लड़की का पिता लड़की व लड़के को साथ रहकर आजीवन धर्म निर्वाह का आदेश देकर कन्यादान करता है।
५. असुर विवाह - वर, कन्या के पिता को धन देकर विवाह करता है।
६. गन्धर्व विवाह - गन्धर्व विवाह का स्वरुप वर्तमान प्रेम विवाह के समान है।
७. राक्षस विवाह - इसमें कन्या को जबरन उठा लाकर या अपहरण करके विवाह किया जाता है।
८. पैशाच विवाह - इसमें सोई हुई, उन्मत, घबराई हुई, कन्या के साथ एकांत में सम्बन्ध स्थापित करके जो विवाह किया जाता है, वह पैशाच विवाह है।
मनु स्मृति में मनु ने उपर्युक्त विवाहों में से प्रथम चार को ही प्रशस्त (मान्य) घोषित किया है।