Wednesday 5 October 2016

(8.1.13) Govardhan Puja / Ann Koot (in Hindi)

Govardhan Pooja / Anna Koot / गोवर्धन पूजा / अन्न कूट 

गोवर्धन पूजा - 
कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। पहले ब्रज के सम्पूर्ण नर -नारी अनेक  पदार्थों से इंद्र का पूजन करते थे और नाना प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाते थे। किन्तु श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा को निषिद्ध बता कर गोवर्धन का पूजन करवाया। यह देख कर इंद्र ने ब्रज  पर प्रलय करने वाली वर्षा की, किन्तु श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा लिया और ब्रज  वासियों  को उसके नीचे खड़ा रख कर बचा लिया। तब से ही गोवर्धन पूजा के पर्व को मनाया जाता है। 
दीपावली के दूसरे दिन प्रात: काल घरों के बाहर गोवर्धन पर्वत के प्रतीक के रूप में गोबर का गोवर्धन बनाया जाता है, इसे पुष्पादि से सजाया जाता है।  गोवर्धन पूजा के दिन प्रात: काल एक जलता हुआ दीपक और पूजा सामग्री से गोवर्धन की पूजा की जाती है।  इस के अतिरिक्त रोली, मौली , नैवेध्य , चाँवल और गंध आदि से पूजा की जाती है और दही को गोवर्धन पर डाला जाता है। 
अन्नकूट - 
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को भगवान के नैवेध्य में नित्य के नियमित प्रदार्थों के अतिरिक्त यथा सामर्थ्य के अनुसार  दाल , भात , साग आदि कच्चे , हलवा , पुड़ी , खीर आदि पक्के , केले, नारंगी, अनार आदि फल  का प्रयोग करके नैवेध्य तैयार किया जाता है।  इसे भगवान को अर्पित कर के प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता  है।   
नव वर्ष - 
भारत के कुछ भागों में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से नव वर्ष का प्रारंभ माना जाता है।  वे इसे नए वर्ष के प्रथम दिवस के रूप में ,मनाते हैं। इस दिन को साढ़े तीन स्वयं सिद्ध मुहूर्त के रूप में भी माना जाता है।  इस लिए किसी भी नए कार्य को शुरू करने के लिए उपयुक्त मुहूर्त नहीं हो तो उस कार्य को इस दिन से शुरू  किया जा सकता है।