Saturday 17 September 2016

(5.1.9) Samudra Mantha aur 14 Ratna

Which are the fourteen Ratnas / 14 रत्न कौनसे हैं ? समुद्र मंथन और चौदह रत्न 

देवता और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन प्रारम्भ किया, जिसके परिणाम स्वरुप निम्नांकित रत्न प्राप्त हुए :- 
(१)विष - सबसे पहले हलाहल नामक अत्यंत उग्र विष निकला।भगवान  शंकर ने उस तीक्ष्ण हलाहल विष को अपनी हथेली पर उठाया और भक्षण कर गए। विष के प्रभाव से भगवान् शंकर का कण्ठ नीला पड़ गया , परन्तु वह तो प्रजा का कल्याण करने वाले भगवान् शंकर के लिए भूषण रूप हो गया।   
(२) कामधेनु - वह अग्निहोत्र की सामग्री उत्पन्न करने वाली थी। इसलिए ब्रह्म लोक तक पहुँचाने वाले उपयोगी पवित्र घी , दूध आदि प्राप्त करने के लिए ब्रह्मवादी ऋषियों ने इसे ग्रहण किया।  
(३) उच्चैः श्रवा (नामक घोड़ा ) - वह चँद्रमा के समान श्वेत वर्ण का था।  बलि ने उसे लेने की इच्छा प्रकट की। (४) ऐरावत (नामक हाथी ) - उसके चार बड़े बड़े दाँत थे , जो उज्ज्वल कैलाश की शोभा को भी मात करता था। 
(५) कौस्तुभ मणि- उस मणि को अपने हृदय पर धारण करने के लिए अजित भगवान् ने इसे लेना चाहा।  
(६) कल्पवृक्ष- यह वृक्ष याचकों की इच्छाएँ उनकी इच्छित वस्तु देकर पूर्ण करता रहता है।   
(७) रंभा अप्सरा - वह  सुन्दर वस्त्रों से सुसज्जित एवं गले में स्वर्ण हार पहने हुए थी। 
(८) देवी लक्ष्मी  - उन्होंने सदगुणों से युक्त और माया रहित भगवान् को अपना पति बनाया।  
(९) वारुणी देवी- कमलनयनी कन्या के रूप में वारुणी देवी प्रकट हुई।  भगवान् की अनुमति से दैत्यों ने उसे ले लिया।  
(१० ) चन्द्रमा 
(११) पारिजात वृक्ष 
(१२) पाञ्चजन्य शंख 
(१३ ) धन्वन्तरि- वे साक्षात भगवान् विष्णु के अंशांश अवतार थे।  वे आयुर्वेद के प्रवर्तक और यज्ञ भोक्ता थे।  उनके हाथ में कलश था।  
(१४ ) अमृत-   धन्वन्तरि के हाथ में जो कलश था , उसमें अमृत था।