मोहिनी एकादशी व्रत /मोहिनी एकादशी व्रत विधि/ मोहिनी एकादशी व्रत महत्व
मोहिनी एकादशी -वैसाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसके व्रत से मोहजाल और पाप दूर होते हैं।
व्रत विधि - (विस्तृत विधि हेतु क्लिक करें)
यह व्रत तीन दिन में पूर्ण होता है -
- दशमी तिथि को केवल एक समय प्रातः काल ही भोजन किया जाता है।
- एकादशी तिथि को उपवास रखा जाता है ,अर्थात दोनों वक्त भोजन नहीं किया जाता है।
- द्वादशी को स्नान आदि के बाद दान आदि दे कर, ब्राह्मण को भोजन करा कर व्रती के द्वारा भोजन किया जाता है।
मोहिनी एकादशी व्रत का महत्त्व -
इस एकादशी का व्रत करने से मोह जाल और पाप दूर होते हैं।
भगवान श्री रामचन्द्रजी ने इस व्रत को सीता जी की खोज करते समय किया था।
कौण्डिन्य के कहने से धृष्टबुद्धि ने यह व्रत किया था।
श्री कृष्ण के कहने से युधिष्ठिर ने यह व्रत किया था।
मोहिनी एकादशी से जुडी कथा (संक्षेप में) -
प्राचीनकाल में सरस्वती नदी तटवर्ती भद्रावती नगरी में द्युतिमान के पाँच पुत्र थे। जिनके नाम थे -सुमन, सुद्युम्न,मेधावी, कृष्णाती और धृष्टबुद्धि। इनमें से धृष्ट बुद्धि का कुसंग से पतन हो गया और वह धन - धन्य - सम्मान तथा गृह आदि से हीन हो गया और हिंसा वृत्ति में लग गया। इस दुर्गति से उसने अनेक अनर्थ किये। कौण्डिन्य ने उसे मोहिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। धृष्टबुद्धि ने यह व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से वह पूर्ववत सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा।