Karm kitane prakaar ke hote hain / teen praakaar ke karm तीन प्रकार के कर्म
कर्म तीन प्रकार के होते हैं - संचित, प्रारब्ध और क्रियमाण।क्रियमाण कर्म - अपनी इच्छा से जो शुभ या अशुभ नवीन कर्म किये जाते हैं , वे क्रियमाण कर्म कहलाते हैं।वर्तमान में किये जाने वाले या होने वाले कर्म क्रियमाण कर्म होते हैं। चूँकि मनुष्य का जीवन वर्तमानकाल है, इसलिए उसके जीवन काल में जो भी कर्म किये जाते हैं, वे सब कर्म क्रियमाण कर्म हैं।
संचित कर्म - अनेक जन्मों से लेकर अब तक किये गए सुकृत-दुष्कृतरूप कर्मों के संस्कार समूह, जो हमारे अंतःकरण में संगृहीत हैं,वे संचित कर्म कहलाते हैं।
प्रारब्ध कर्म - पाप -पुण्य रूप संचित का कुछ अंश जो किसी एक जन्म में सुख -दुःख फल भुगताने के लिए सम्मुख हुआ है, वह प्रारब्ध कर्म कहलाता है।अर्थात प्रारब्ध कर्म वे कर्म हैं जो गत जन्मों में किये गए हैं तथा उनका फल इस जन्म में भोगना है।