Wednesday 21 September 2016

(8.1.1) Makar Sankranti /मकरसंक्रांति

Makar Sankranti मकरसंक्रांति / मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति क्या है ?
सूर्य जिस राशि में स्थित हो , उसे छोड़कर जब वह दूसरी राशि में प्रवेश करे तो उस समय का नाम संक्रांति है। कुल बारह राशियाँ हैं इस लिए बारह संक्रान्तियाँ होती है। ऐसी बारह संक्रांतियों में मकरादि छ: और कर्क आदि छ: राशियों के योग काल में क्रमश: उत्तरायण और दक्षिणायण - ये दो अयन होते हैं । इस प्रकार सूर्य का धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति कहलाता है। इसी समय से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण गति शील होते हैं। मकर संक्रांति के इस त्यौहार को थोड़े बहुत अंतर के साथ लगभग पूरे भारत में मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के कुछ भागों और बिहार में इसे 'खिचड़ी' के नाम से जाना जाता है। कर्नाटक , केरल और आन्ध्र प्रदेश में इसे 'संक्रांति' कहा जाता है। तमिलनाडु  में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
मकर संक्रांति की महत्वपूर्ण बातें / मकर संक्रांति का महत्व 
1.भारतीय पंचांग में तिथि आदि की गणना चन्द्रमा की स्थिति के आधार पर की जाती है जब कि संक्रांति का सम्बन्ध सूर्य से है इस लिए अन्य  त्यौहारों की दिनांक बदल जाती है लेकिन मकर संक्रांति  की दिनांक 14 जनवरी होती है।
2.मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाता है जो छ माह तक रहता है। उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है तथा दक्षिणायण  को देवताओं की रात्रि मानी जाती है। इसलिए कई धार्मिक कार्य उत्तरायण में ही किये जाते है।
3.मकर संक्रांति के बाद दिन बड़े होने लगते हैं  और रात्रि छोटी होने लगती हैं।
4.महाभारत के प्रमुख पात्र भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। उन्होंने अपने सांसारिक शरीर को त्यागने के लिए उत्तरायण की प्रतीक्षा की और उत्तरायण काल  पर ही अपने प्राण त्यागे।
5.महाराज सगर के साठ हजार पुत्रों को मुक्ति प्रदान कराने हेतु महाराज  भागीरथ ने गहन तपस्या की और गंगा नदी को पृथ्वी पर लाये। मकर संक्रांति के दिन महाराज भागीरथ ने गंगा के पानी से तर्पण किया और अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाई। आज भी गंगा सागर में लोग स्नान करते हैं और अपने पूर्वजों  के लिए तर्पण करते हैं।
6.इस दिन लोग नदियों  और तालाबों में स्नान करते हैं और मंदिरों में अपने इष्ट देव के दर्शन व पूजा करते हैं।
7.इस दिन किये गए जप , तप , स्नान , दान ,तर्पण आदि का बहुत महत्त्व है। नदी के तट या सरोवर के तट पर दिए गए दान को ज्यादा अच्छा माना जाता है। 
8.इस दिन तिल के दान को अच्छा माना जाता है। लोग अपने सम्बन्धियों व मित्रों को तिल व गुड से बने हुए लड्डू देते हैं।