Dhan Teras / Dhan Trayodashi / धन तेरस ( दीपावली पर्व का प्रथम पर्व ) /धन तेरस की परम्पराएं तथा पूजा
दीपावली का पर्व पाँच दिन तक चलता है जिसमें 1. धन तेरस 2. नरक चतुर्दशी / रूप चतुर्दशी 3. लक्ष्मी पूजन 4. अन्न कूट / गोवर्धन पूजा 5. भाई दूज पर्व आयोजित किये जाते हैं।
इस प्रकार धन तेरस या धन त्रयोदशी पाँच दिन तक चलने वाले दीपावली पर्व का प्रथम पर्व है। यह कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को आयोजित किया जाता है।
इस दिन मृत्यु के देवता यमराज , देव चिकित्सक धन्वन्तरी और कुबेर की पूजा की जाती है।
यम दीपदान -
स्कन्द पुराण के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को सांय काल के समय किसी पात्र में मिट्टी के दीपक रखकर उनमें तिल का तेल डालकर नई रुई की बत्ती रखें और उन दीपकों को जलायें । फिर दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके " मृत्युना दण्ड पाशाभ्याम कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीप दानात सूर्यज: प्रीयतां मम।। मंत्र बोल कर दीपों का दान करें तो इससे यमराज प्रसन्न होते हैं । दीपदान के लिए प्रदोष काल का समय श्रेष्ठ है। ( यह समय ऊपर लिखा हुआ है)
धन्वन्तरी पूजा -
धन्वन्तरी पूजा -
पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान धन्वन्तरी अमृत कलश हाथ में लेकर समुद्र से उत्पन्न हुये थे। वे देव चिकित्सक हैं । उनकी इस दिन पूजा की जाती है।
कुबेर पूजा -
धन तेरस के दिन धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है। इसका श्रेष्ठ समय प्रदोष काल है।
परम्परायें - धन तेरस के दिन नई वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है। विशेष रूप से सोने और चाँदी से बनी हुई वस्तुएं। यदि यह खरीदना संभव नहीं हो तो नए बर्तन खरीदना भी शुभ माना जाता है। यूँ तो पूरा दिन ही खरीददारी के लिए शुभ है फिर भी चौघडिया तथा अभिजित मुहूर्त के अनुसार खरीददारी की जा सकती है।