Monday 19 September 2016

(7.3.1) Gaudhuli Vela kya hai (in Hindi) /गौधूलि वेला

Gau Dhuli Vela / गौ धूलि वेला / गौ धूलि वेला की अवधि / गौ धूलि वेला की शुभता 

गौ धूलि वेला क्या है 
गो धूलि वेला  से तात्पर्य उस  काल से है जब सूर्यास्त नहीं हुआ हो और गोचर भूमि से  चर कर लौटते हुए धेनु आदि पशुओं के पैरों से  रज  उछल कर आकाश में छा गई हो।
गो धूलि वेला  की शुभता :- गो धूलि बेला  को विवाह आदि  मांगलिक  कार्य के लिए श्रेष्ठ माना जाता है अत: यह बेला  विवाह आदि मांगलिक  कार्यों में लग्न, ग्रह , नवांश , मुहूर्त , लत्ता , पात , अष्टम  भाव तथा जामित्र आदि दोषों को नष्ट प्राय: कर देती है।
गो धूलि वेला  की अवधि :- भिन्न -भिन्न मतों के अनुसार गो धूलि वेला  का मान  इस प्रकार है -
1. सूर्य आधा अस्त हो जाये तब से पहले की आधी घटी और सूर्य अस्त होने के बाद की आधी घटी को गो धूलि वेला  लग्न माना  जाता है। कुल एक घटी अर्थात सूर्यास्त काल से बारह मिनट पूर्व व बारह  मिनट बाद तक का समय गो धूलि वेला होता है। गो धूलि वेला  का सम्बन्ध सूर्य के अस्त होने के समय से है अत: भिन्न - भिन्न स्थानों पर गो धूलि वेला लग्न अलग - अलग हो सकता है। इसलिए गो धूलि बेला  को जानने का सबसे अच्छा तरीका है - पंचांग में स्थानीय सूर्य के अस्त होने का समय देखकर , उसके बारह मिनट पहले और बारह मिनिट बाद तक का गो धूलि काल होता है।अधिकांश विद्वान इसी मत को मान्यता देते हैं।
2. कुछ अन्य विद्वान सूर्यास्त से चौबीस मिनट पहले व चौबीस मिनट बाद तक का दो घटी अर्थात अड़तालीस मिनट का समय गो धूलि काल मानते हैं।   गौधूलि वेला 
3. कुछ विद्वानों के अनुसार हेमंत ऋतु में  संध्या समय पूर्व जब सूर्य गोलाकार हो जाये , गर्मी में जब सूर्य आधा अस्त हो जाये तथा वर्षा ऋतु में सूर्य सम्पूर्ण अस्त हो जाने पर गो धूलि वेला  होती है।
गो धूलि वेला  की सीमा -
1.गुरुवार को सूर्यास्त के बाद तथा शनिवार को सूर्यास्त के पूर्व गो धूलि लग्न शुभ होता है।
2. यदि विवाह का शुद्ध लग्न मिल रहा हो तो उसका त्याग कर गो धूलि वेला को लेना उचित नहीं है।