Magh Poornima / Maghi Poornima / Importance of Magh Purnima / माघ पूर्णिमा / माघ पूर्णिमा का महत्व
माघी पूर्णिमा -माघ शुक्ल पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा या माघ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
माघी पूर्णिमा के बारे में महत्वपूर्ण बातें -
माघ मास की पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्त्व है।
माघ शुक्ल पूर्णिमा को प्रात: स्नान आदि के बाद विष्णु का पूजन करें, पितरों का श्राद्ध करें, असहायों को भोजन, वस्त्र और आश्रय दें, तिल, कम्बल, कपास, गुड़, घी, मोदक, फल और सामर्थ्य का दान करें।
व्रत या उपवास करें, कथा सुने और ब्राह्मणों को भोजन कराये। यह अत्यंत फलदायी होते हैं।
इस तिथि को गंगा स्नान या अन्य पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करने से भव बाधाएं दूर हो जाती हैं। वैसे तो माघ स्नान तीस दिन में पूर्ण होता है , परंतु इतना नहीं कर सके तो माघ शुक्ल त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा के अरूणोदय स्नान करके व्रत करे तो सम्पूर्ण माघ स्नान का फल मिलता है।
माघ शुक्ल पूर्णिमा को को मेष का शनि, सिंह के गुरु -चन्द्र और श्रवण का सूर्य हो तो इनके सहयोग से महामाघी संपन्न होती है। इसमें स्नान दान आदि जो भी किये जायें , उनका अमित फल मिलता है।
माघ शुक्ल पूर्णिमा को प्रात: स्नान आदि के बाद विष्णु का पूजन करें, पितरों का श्राद्ध करें, असहायों को भोजन, वस्त्र और आश्रय दें, तिल, कम्बल, कपास, गुड़, घी, मोदक, फल और सामर्थ्य का दान करें।
व्रत या उपवास करें, कथा सुने और ब्राह्मणों को भोजन कराये। यह अत्यंत फलदायी होते हैं।
इस तिथि को गंगा स्नान या अन्य पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करने से भव बाधाएं दूर हो जाती हैं। वैसे तो माघ स्नान तीस दिन में पूर्ण होता है , परंतु इतना नहीं कर सके तो माघ शुक्ल त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा के अरूणोदय स्नान करके व्रत करे तो सम्पूर्ण माघ स्नान का फल मिलता है।
माघ शुक्ल पूर्णिमा को को मेष का शनि, सिंह के गुरु -चन्द्र और श्रवण का सूर्य हो तो इनके सहयोग से महामाघी संपन्न होती है। इसमें स्नान दान आदि जो भी किये जायें , उनका अमित फल मिलता है।